रांची। झारखंड में चतरा लोकसभा सीट पर इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा खम ठोके जा रहे हैं।
भारत के संसदीय चुनाव के इतिहास में जगह पाने वाले चतरा में इस बार भी बाहरी का बैरियर
टूटेगा या नहीं यह तो 4 जून को चुनाव का रिजल्ट ही बतायेगा।
पूरे देश में चतरा देश की एकमात्र ऐसी सीट है, जहां आज तक कोई स्थानीय उम्मीदवार नहीं जीत सका है।
यह प्रश्न अमिताभ बच्चन केबीसी के एक सवाल में भी पूछ चुके हैं। इस बार स्थानीय कार्यकर्ताओं के दबाव में बीजेपी ने चतरा के कालीचरण सिंह को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है।
वहीं पलामू के पूर्व विधायक केएन त्रिपाठी यहां से इंडिया गठबंधन और कांग्रेस के प्रत्याशी हैं।
अब ये मुकाबला तय करेगा कि चतरा में बाहरी का रिकार्ड कायम रहेगा या टूटेगा। केएन त्रिपाठी पलामू के हैं, पर पर वह कालीचरण सिंह को बाहरी बता रहे हैं।
जबकि बीजेपी ने काफी चिंतन मंथन करके स्थानीय कार्यकर्ता कालीचरण सिंह को टिकट थमाया है।
जो भी हो, यहां इस बार दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। पिछले दो लोकसभा चुनाव से चतरा संसदीय सीट बीजेपी के पास है।
वर्ष 2014 और 2019 में बीजेपी के सुनील कुमार सिंह ने लगातार दो बार जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सुनील सिंह को 57.03 प्रतिशत मत प्राप्त हुआ था।
उन्हें 5,28077 मत प्राप्त हुए थे। इस चुनाव में पहले और दूसरे स्थान पर रहने वाली पार्टी के वोट के प्रतिशत में सबसे अधिक अंतर चतरा सीट पर ही देखने को मिला था।
यहां बीजेपी को 57.03 प्रतिशत जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 16.22 प्रतिशत वोट मिले,जबकि राजद के उम्मीदवार को 9 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ था।
बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशी के बीच वोट प्रतिशत का अन्तर तीन गुणा से अधिक रहा था।
चतरा सीट से बीजेपी ने पहली बार स्थानीय उम्मीदवार को मौका देने का फैसला किया। दो बार के सांसद सुनील सिंह का टिकट काटकर स्थानीय काली चरण सिंह को मौका दिया गया।
काली चरण सिंह बीजेपी के अनुभवी नेता हैं और वर्तमान में प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। उन्हें पार्टी और संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है।
चतरा को जानने वाले राजनीतिक विश्लेषकों की माने, तो बीजेपी ने इस बार एक साथ तीन मोर्चों पर बढ़त हासिल करने का कार्य किया है।
बीजेपी ने इस बार कालीचरण सिंह को टिकट देकर संसदीय क्षेत्र के किसी स्थानीय नेता को टिकट देने की कार्यकर्ताओं की पुरानी मांग को पूरी कर दी।
दूसरा बीजेपी ने विपक्षी दलों की ओर से स्थानीय उम्मीदवार के मसले को चुनावी मुद्दा बनाए जाने से रोकने में सफलता हासिल की।
बीजेपी को तीसरा फायदा यह मिला कि समय पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर चुनाव प्रचार में बढ़त हासिल कर ली।
इस लोक सभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के सामने सबसे बढ़ी चुनौती 2019 के चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन को दुहराने और सांसद सुनील सिंह के 57 प्रतिशत के वोट शेयर को बरकरार रखने की होगी।
2019 के लोक सभा चुनाव में राज्य की चार सीटों पर बीजेपी को 60 प्रतिशत मत मिले थे। वहीं 2014 में बीजेपी ने चतरा में 41.08 प्रतिशत और फिर 2019 के चुनाव में 57 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त किया था।
मतों का यह प्रतिशत चतरा लोकसभा सीट के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी जीत के तौर पर दर्ज है।
बीजेपी प्रत्याशी को प्राप्त मतों का प्रतिशत एक रिकॉर्ड है जो अब तक चतरा सीट पर दर्ज करने वाले सभी प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा है।
भारत निर्वाचन आयोग ने 18वीं चतरा में 20 मई को मतदान होगा। चतरा लोकसभा सीट राज्य का सबसे छोटा संसदीय क्षेत्र है।
इसमें तीन जिलों की 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस सीट पर पिछले 2 लोकसभा चुनाव से बीजेपी जीत रही है।
2019 के लोक सभा चुनाव में चतरा लोकसभा सीट से 26 उम्मीदवार मैदान में थे। जबकि इस चुनाव में प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने का राष्ट्रीय औसत 14.8 प्रतिशत रहा था।
वहीं झारखंड में यह औसत 16 रहा था। 2004 के लोकसभा चुनाव में चतरा से 16 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई।
इससे पहले 2009 में 11 और 2014 में 20 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। इस प्रकार पिछले चार लोकसभा चुनावों में इस सीट से कुल 73 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई है।
2019 के चुनाव परिणाम जब सामने आए जो इस सीट से चुनाव लड़े 18 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट प्राप्त हुआ था।
अब इस चुनाव में कांग्रेस के केएन त्रिपाठी बीजेपी की कितनी मुश्किल बढ़ायेंगे, यह तो अलग है, पर बीजेपी को अपने को ही संभालना बड़ी चुनौती है।
भाजपा के ही पुराने और वरिष्ठ नेता राजधानी यादव टिकट नहीं मिलने से नाराज हैं। भाजपा कार्यालय के बाहर धरना देकर उन्होंने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है।
हालांकि इसके बाद प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने उन्हें समझाया-बुझाया तो वे शांत जरूर हो गये हैं, पर दिल से वह बीजेपी प्रत्याशी को जिताने के लिए कितना प्रयास करेंगे, ये तो वही बता सकते हैं।
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