नई दिल्ली, एजेंसियां। पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे व्यवस्थागत धोखाधड़ी (systemic fraud) बताया। कोर्ट ने कहा कि आज नौकरियों की कमी है। अगर जनता का भरोसा चला गया तो कुछ नहीं बचेगा।
कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि डेटा उसके अधिकारियों ने मेनटेन किया था और इसकी उपलब्धता के बारे में पूछा गया था।
बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। पिटीशन में मांग की गई है कि हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया जाए।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों की 25 हजार 753 नियुक्तियों को अवैध करार दे दिया था।
साथ ही इन शिक्षकों को 7-8 साल के दौरान मिली सैलरी 12% इंटरेस्ट के साथ लौटाने के निर्देश भी दिए थे।
इसके लिए कोर्ट ने 6 हफ्ते का समय दिया था। बेंच ने बंगाल सरकार के वकील से पूछा कि या तो आपके पास डेटा है या नहीं है….आप दस्तावेजों को डिजिटल रूप में बनाए रखने के लिए बाध्य थे।
यह स्पष्ट है कि कोई डेटा नहीं है। आपको यह पता ही नहीं है कि आपके सर्विस प्रोवाइडर ने किसी अन्य एजेंसी को नियुक्त किया है। आपको सुपरवाइजरी कंट्रोल बनाए रखना था।
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