नई दिल्ली, एजेंसियां।
दुनियाभर में क्रॉनिक बीमारियों और कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसमें बाउल कैंसर (कोलोरेक्टल कैंसर) का बढ़ता ग्राफ विशेष चिंता का विषय है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का अनुमान है कि वर्ष 2040 तक बाउल कैंसर के नए मरीजों की संख्या बढ़कर 32 मिलियन प्रतिवर्ष तक पहुंच सकती है।
भारत में भी स्थिति काफी चिंताजनक है। आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में 64,863 नए मामले और 38,367 मौतें दर्ज की गईं। विशेषज्ञ बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है, जिसका प्रमुख कारण अस्वस्थ जीवनशैली, प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता सेवन और शारीरिक गतिविधि (Exercise) में कमी है।
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड बना बड़ा खतरा
एक हालिया वैश्विक अध्ययन ने चेतावनी दी है कि 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं, जो नियमित रूप से अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाती हैं, उनमें ‘बाउल पॉलिप’ बनने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। यह पॉलिप आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकता है।
ऐसे खाद्य पदार्थों में आमतौर पर फाइबर कम और इमल्सीफायर अधिक होते हैं, जो आंत के माइक्रोबायोम (Gut Microbiome) को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर का जोखिम बढ़ाते हैं। कैंसर रिसर्च यूके और नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ने लोगों को ऐसे खाद्य पदार्थों से दूरी बनाने की सलाह दी है।
विशेषज्ञ बोले- आदतें बदलें, खतरा घटाएं
अध्ययन में पाया गया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाना खाने वाले लोगों में बड़ी आंत या रेक्टम में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि का खतरा 45% अधिक था।
मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ता डॉ. एंड्रयू चैन बताते हैं कि युवा लोगों में आंत के कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे खराब खान-पान, व्यायाम की कमी और आंत के माइक्रोबायोम में असंतुलन अहम कारण हैं। उनके अनुसार:
“अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड इन खतरों को कई गुना बढ़ाता है, यह आग में घी डालने जैसा काम करता है।”
कैसे करें बाउल कैंसर से बचाव?
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड आमतौर पर लोगों के कुल दैनिक कैलोरी सेवन का 35% हिस्सा होता है। इसमें ब्रेड, पैकेज्ड नाश्ता, सॉस, स्प्रेड और शर्करा युक्त पेय शामिल हैं।
विशेषज्ञों की सलाह है कि बाउल कैंसर के खतरे को कम करने के लिए इन चीजों का पालन करें:
- ताजे फल और सब्जियां: अपनी डाइट में नेचुरल चीजों को जगह दें।
- फाइबर युक्त भोजन: साबुत अनाज और दालों का सेवन बढ़ाएं।
- नियमित व्यायाम: शारीरिक रूप से सक्रिय रहना बहुत जरूरी है।
- नशे से दूरी: धूम्रपान और शराब का सेवन पूरी तरह बंद या कम करें।
पहचानना क्यों है मुश्किल?
सबसे बड़ी समस्या यह है कि बाउल कैंसर के शुरुआती लक्षण जैसे गैस, एसिडिटी और पेट दर्द बिल्कुल सामान्य पाचन समस्याओं जैसे लगते हैं। इसी गलतफहमी के कारण कई मरीज देर से डॉक्टर तक पहुंचते हैं, जिससे इलाज कठिन हो जाता है। इसलिए पेट से जुड़ी किसी भी समस्या को लंबे समय तक नजरअंदाज न करें।



