फाइलेरिया की दवा कैसे खायें
फाइलेरिया
फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसे लोग हाथीपांव भी कहते हैं। फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण और इसके लक्षण 8 से 9 साल बाद दिखाई देते हैं।
इससे मुक्ति के लिए स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर फाइलेरिया की दवा खिलाते हैं। यदि इस बीमारी की पहचान समय से नहीं की गई तो हमारा शरीर पूरी तरह से खराब हो सकता है।
यदि सावधानी बरती जाए तो फाइलेरिया बीमारी को होने से रोका भी जा सकता है।
इसके लिए सरकार हर वर्ष (एमडीए) सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाती है, जिसमें फाइलेरिया को रोकने के लिए लोगों को दवा की खुराक खिलाई जाती है।
इस खुराक के माध्यम से फाइलेरिया बीमारी को होने से रोका जा सकता है। फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है।
फाइलेरिया पीड़ित व्यक्ति को काटने के बाद वो मच्छर यदि दूसरे व्यक्ति को काटता है, तो ऐसे में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में यह बीमारी फैलने की अधिक संभावना होती है।
ऐसे खायें फाइलेरिया की दवाः
डाक्टरों के मुताबिक लोग यह सोचकर नहीं घबराएं कि एक बार में इतनी दवा कैसे खायी जाये।
पर्याप्त शोध के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा उम्र के अनुसार लोगों के लिए दवा का डोज निर्धारित किया गया है।
सभी लक्षित लाभार्थी निसंकोच दवा का सेवन करें और फ़ाइलेरिया से सुरक्षित रहें। डाक्टर बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं, दो साल से कम उम्र के बच्चों और किसी गंभीर रोग होने पर फाइलेरिया की दवा नहीं खिलानी है।
फाइलेरिया की गोलियां हमेशा चबा कर खाएं और खाली पेट कभी भी नहीं खाएं, अन्यथा नुकसान दायक हो सकता है।
एक तरफ जहां मरीजों का उपचार एवं प्रबंधन तो दूसरे तरफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को साल में एक बार डीइसी एवं एल्बेंडाजोल दवा का सेवन कराना आवश्यक है।
जिला फाइलेरिया कार्यालय फाइलेरिया की दवा को लेकर इन बातों का ध्यान रखने की सलाह भी देते हैं।
खुराक का निर्धारणः
• खुराक खिलाने के लिए तीन आयुवर्ग निर्धारित किया गया है, इसमें 2 से 5 वर्ष के बच्चों के लिए 1 एल्बेंडाजोल एवं 1 डीईसी की खुराक देनी है।
• 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को 1 एल्बेंडाजोल एव 2 डीईसी तथा
• 15 वर्ष के ऊपर वाले लोगों को 1 एल्बेंडाजोल एवं 3 डीईसी की दवा खिलाई जाएगी।
खाली पेट न खायें फाइलेरिया की दवाः
फाइलेरिया की दवा खाली पेट न खाएं। खाली पेट दवा खाने के बाद नींद आना, सिर में भारीपन, चक्कर और जी मचलाने की शिकायत हो सकती है। लेकिन ये दिक्कत भी सिर्फ एक ही दिन होती है।
फाइलेरिया से सिर्फ डीईसी दवा खाकर बचा जा सकता है। एक बार बीमारी होने पर सर्जरी कराकर ही अंगों को सामान्य किया जा सकता है।
फाइलेरिया या हाथी पांव बीमारी में पैर, हाथ, स्तन व वृषण में सूजन आ जाती हैं। जिससे अंग मोटे होकर निष्क्रिय हो जाते हैं।
इस बीमारी से बचाव के लिए सिर्फ एक ही इलाज है कि साल में एक बार डीईसी (डाई इथाइल कार्बेमेजाइन) दवा खाई जाए।
इस बीमारी के उन्मूलन के लिए साल में एक बार अभियान चलता है। तीन दिन तक चलने वाले इस अभियान में दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमार लोगों को छोड़कर सभी को दवा दी जाती है।
जिससे शरीर में मौजूद माइक्रो फाइलेरी को खत्म किया जा सके।
फाइलेरिया के संक्रमण से बचने के लिए मच्छरों से बचाव के साथ ही साल में एक बार फाइलेरिया रोधी डीईसी खुराक खाना बेहतर तरीका माना जाता है।
2 से 5 वर्ष की आयु तक 100 एमजी की एक गोली,
6 से 14 वर्ष तक 2 गोली और
14 से अधिक आयु वर्ग के लोगों को 3 गोली की खुराक खिलाई जाती है।
दवा खिलाने के अभियान में लगे लोगों को बताया जाता है कि जिसे भी ये दवा दी जाए। उससे खाली पेट दवा न खाने के बारे में भी बताया जाए।
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