रांची। साल 2000 में झारखंड की स्थापना एक बड़े उद्देश्य के साथ हुई थी। उद्देश्य था यहां की आदिवासी पंरपरा और संस्कृति का संरक्षण।
खनिजों से भरी पड़े इस क्षेत्र का विकास और आदिवासियों के विकास की मुख्य धारा पर लाना। पर समय के साथ सारे मकसद पीछे छूट गये।
जो राज्य स्थापना काल में सर प्लस बजट में था, वह आज कर्ज के बोझ से कराह रहा है। यहां इतने घपले-घोटाले हुए कि राज्य के बाहर झारखंड की छवि आज लूटखंड की बन गई है।
ऐसे निश्चित ही सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो राज्य सरप्लस बजट के सात स्थापित हुआ था, वह आज लूटखंड कैसे बन गया।
लूट का यह सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ। बिहार से अलग झारखंड बनाने की मांग इसलिए हो रही थी कि इसका समुचित विकास अपने ही संसाधनों से सुचारू ढंग से हो पाएगा।
झारखंड अलग राज्य बनने के बाद जिस विकास और खुशहाली का सपना लोगों ने देखा था, वह तो पूरा नहीं हुआ, उल्टे यहां लूट की संस्कृति स्थापित होती चली गई।
हाल के कुछ वर्षों मे जिस तरह नौकरशाहों के घर से इस कदर नकद बरामग हुए हैं कि झारखंड का अघोषित नाम लूटखंड हो गया है।
भ्रष्टाचार और मनी लांड़्रिंग मामले में राज्य के दो-दो मुख्यमंत्रियों को जेल की हवा खानी पड़ी। कई मंत्रियों को जेल जाना पड़ा।
सूची लंबी है। वैसे भ्रष्टाचार के इस खेल शुरुआत मानी जाती है कोड़ा कार्यकाल से।
तो बात सबसे पहले सीएम मधु कोड़ा के कार्यकाल की करते हैं। झारखंड का सीएम रहते मधु कोड़ा पर खनन घोटाले के आरोप लगे।
तब कांग्रेस, झामुमो और राजद गठबंधन की सरकार थी। मधु कोड़ा निर्दलीय मुख्यमंत्री बने थे। उनके कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।
मनी लांड्रिंग के अलावा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस उन पर चला। मधु कोड़ा पर आरोप था कि उन्होंने रिश्वत लेकर खनन का ठेका लोगों को दिया।
मधु कोड़ा और उनके सहयोगियों ने तकरीबन चार हजार करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की।
इन्हीं आरोपों के मद्देनजर 2009 में मधु कोड़ा को गिरफ्तार किया गया। चार साल जेल में रहने के बाद 2013 में उनकी रिहाई हुई थी।
मनी लांड्रिंग मामले में उनकी 144 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क हुई थी। मधु कोड़ा 2017 में दोषी करार दिए गए।
25 लाख रुपए जुर्माने के साथ उन्हें तीन साल की जेल की सजा हुई। मधु कोड़ा के आधे से अधिक मंत्रिमंडलीय सहयोगी भी भ्रष्टाचार के मामलों में जेल की हवा खा चुके हैं।
उनमें एक की तो मृत्यु हो गई और बाकी कुछ के खिलाफ अब भी मामले अदालतों में हैं।
अब बात पूर्व खनन सचिव पूजा सिंघल की। वर्ष 2019 में जब हेमंत सोरेन ने राज्य की बागडोर संभाली तो उनके युवा और बेदाग व्यक्तित्व को देख कर लोगों को लगा था कि वे अब झारखंड को आगे ले जाएंगे।
लेकिन लोगों की उम्मीदों पर तब पानी फिर गया, जब उनके कार्यकाल में 7 मई 2022 को झारखंड में पदस्थापित आईएएस पूजा सिंघल के करीबी एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के घर से ईडी ने 17 करोड़ रुपए बरामद किए।
बिस्तर के नीचे नोटों के बंडल सजा कर रखे गए थे। नकद के अलावा उसके पास से आठ करोड़ रुपए मूल्य की की संपत्ति भी मिली थी।
इस सिलसिले में बिहार के मधुबनी से पूजा सिंघल के ससुर को भी गिरफ्तार किया गया था। पूजा सिंघल अब भी जेल में हैं।
अधिकारियों की बात करें, तो रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन भी जेल में हैं। लैंड स्कैम और मनी लांड्रिंग के मामले में वे जेल पहुंचे हैं।
लैंड स्कैम और मनी लांड्रिंग से जुड़े एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी जेल में हैं।
अब झारखंड प्रशासनिक सेवा का एक अधिकारी धन कुबेर निकला है। ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीए संजीव लाल के नौकर के घर से ईडी ने 35 करोड़ से अधिक कैश बरामद किए हैं।
झारखंड में विपक्षी भाजपा के नेता इसे सीधे आलमगीर आलम से जोड़ कर देख रहे हैं।
भाजपा नताओं का कहना है कि इतनी बड़ी रकम मंत्री के पीए के नौकर के घर से मिलना साफ संकेत है कि यह काली कमाई मंत्री ने ही छिपा कर रखवाई थी।
जांच जारी है और कई और बड़े नाम इस लपेटे में आ जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
ईडी ने जिस सिलसिले में यह कार्रवाई की है, उसके तार पिछले साल गिरफ्तार हुए ग्रामीण विकास के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम से जुड़े हैं।
फरवरी 2023 में ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के रांची, जमशेदपुर सहित तकरीबन दो दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की थी।
ईडी ने उनके घर से डेढ़ करोड़ से अधिक के जेवरात जब्त किए थे। वीरेंद्र राम अब भी जेल में हैं।
ईडी को वीरेंद्र राम के ठिकानों से जेवरात के अलावा नकद 20 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के कागजात भी मिले थे।
ये वही वीरेंद्र राम थे, जिन पर 2019 के विधानसभा चुनाव में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा था। उनके घर से करीब ढाई करोड़ रुपये बरामद हुए थे।
वर्ष 2023 में ही कांग्रेस कोटे से राज्यसभा सांसद धीरज साहू के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी कर 350 करोड़ से अधिक नकद बरामद किए थे।
350 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित नकदी के अलावा 2.8 करोड़ रुपए से अधिक के बेहिसाबी ज्वेलरी भी जब्त हुई थी।
आयकर विभाग ने कहा था कि 329 करोड़ रुपये नकद का एक बड़ा हिस्सा ओड़िशा के छोटे शहरों से बरामद किए गए।
हालांकि धीरज साहू ने दावा किया था कि बरामद रुपयों से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
व्यवसाय उनके घर के अन्य लोग संभालते हैं और संभव है कि व्यावसायिक लेन-देन की ही यह रकम हो।
झारखंड के जिस सीएम हेमंत सोरेन से लोगों को काफी उम्मीदें थीं, वे खुद जमीन घोटाले में जेल में हैं।
उन पर सेना की जमीन का मालिकाना हक हथियाने का आरोप लगा है। ईडी ने आरोप पत्र भी जमा कर दिया है।
हेमंत पर तो यह भी आरोप लगा था कि उन्होंने पद का दुरुपयोग कर खनन पट्टा अपने नाम लिया था।
ये महज कुछ ऐसे उदाहरण है, जिनके खुलासे हुए और जिनके कारण झारखंड को लूटखंड कहा जा रहा है।
अभी कई मामलों में जांच चल रही है और जैसे-जैसे खुलासे होंगे, कई और बड़े नाम इसमें दिख सकते हैं।
शराब घोटाले की आंच छत्तीसगढ़ से झारखंड तक पहुंचने लगी है। कई और जमीन घोटाले और मनी लांड्रिंग के मामले में कुछ और बड़े अधिकारी रडार पर नजर आ रहे हैं।
स्थापना के 24 साल में झारखंड के नेताओं-अफसरों पर लूट के जिस तरह के आरोप लगे हैं, उससे यह स्थापित होता है कि झारखंड अब लूटखंड बन चुका है।
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