Jharkhand High Court:
रांची। रांची और राज्य के अन्य जिलों में खुले में कटे बकरे और मुर्गे की बिक्री के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार और रांची नगर निगम से यह स्पष्ट जानकारी मांगी कि पशु वधशाला (Slaughter House) के लिए नियमावली तैयार की गई है या नहीं।
अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने याद दिलाया कि वर्ष 2023 में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को निर्देश दिया था कि वधशाला संचालन से संबंधित नियम और विनियम बनाए जाएं। हालांकि अब तक इस आदेश के अनुपालन का कोई ठोस रिकॉर्ड या दस्तावेज कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। Bench ने कहा कि पहली दृष्टि में ऐसा प्रतीत होता है कि 2023 के आदेश का अनुपालन नहीं हुआ है।सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने कहा कि वह संबंधित विभाग से निर्देश लेकर कोर्ट को जानकारी देंगे। खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस पूरे मामलों पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
12 दिसंबर को अगली सुनवाई:
कोर्ट ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए कहा कि खुले में मीट काटने और प्रदर्शित करने पर रोक से संबंधित दिशानिर्देशों के पालन में लापरवाही नहीं हो सकती। Bench ने अगली सुनवाई 12 दिसंबर 2025 को निर्धारित की है, जिसमें सरकार को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
खुले में मीट बिक्री पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका:
यह जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता श्यामानंद पांडेय द्वारा दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि रांची समेत पूरे झारखंड में कई मीट दुकानों पर खुलेआम बकरे और मुर्गे काटे जाते हैं और उनका प्रदर्शन किया जाता है। यह न केवल FSSAI के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के भी खिलाफ है।प्रार्थी ने कोर्ट से मांग की है कि सरकार नियमावली बनाकर उसे जमीन पर लागू करे, ताकि शहरों में स्वच्छता, जीव-जन्तु क्रूरता पर रोक और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके।अब उम्मीद है कि अगली सुनवाई में सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी और वधशाला नियमावली से जुड़ी प्रगति रिपोर्ट पेश करेगी।



