Google Gemini AI privacy lawsuit:
नई दिल्ली, एजेंसियां। अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के सैन जोस में गूगल के खिलाफ एक बड़ा मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि कंपनी ने अक्टूबर 2025 में बिना यूजर्स की जानकारी और अनुमति के अपने Gemini AI असिस्टेंट को Gmail, Google Chat और Meet जैसे ऐप्स में सीक्रेट तरीके से एक्टिव कर दिया। इस कदम से गूगल को कथित रूप से करोड़ों यूजर्स की निजी चैट, ईमेल और वीडियो मीटिंग्स तक पहुंच मिल गई।
शिकायत में कहा गया:
शिकायत में कहा गया है कि गूगल ने पहले Gemini को “ऑप्ट-इन” विकल्प के रूप में पेश किया था, लेकिन अब इसे अपने आप एक्टिव कर दिया गया है। यूजर्स चाहें तो इसे बंद कर सकते हैं, मगर यह सेटिंग काफी गहराई में छिपी हुई है, जिससे अधिकांश लोग इसे ढूंढ नहीं पाते। इसे यूजर्स की निजता और सहमति का गंभीर उल्लंघन बताया जा रहा है।
अब तक गूगल का कोई आधिकारिक बयान नहीं:
गूगल ने इस मुकदमे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। कंपनी का कहना है कि Gemini का उद्देश्य यूजर अनुभव और उत्पादकता बढ़ाना है और यह उसकी मौजूदा प्राइवेसी पॉलिसी के अंतर्गत ही काम करता है। टेक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला केवल गूगल तक सीमित नहीं, बल्कि पूरी टेक इंडस्ट्री के लिए चेतावनी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रेस में कंपनियों को यूजर की प्राइवेसी और सहमति को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। इससे पहले भी गूगल पर डेटा हैंडलिंग को लेकर कई बार मुकदमे और जांचें हो चुकी हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि Gemini AI विवाद के बाद अमेरिकी अदालतें एआई टेक्नोलॉजी पर किस तरह की नई सीमाएं या दिशानिर्देश तय करती हैं।



