Ghatsila by-election:
घाटशिला। झारखंड उपचुनाव का सबसे चर्चित मुकाबला घाटशिला विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा है, जहां झामुमो (JMM) और भाजपा (BJP) के बीच सीधी टक्कर है। वहीं, झारखंड लोक कल्याण मंच (JLKAM) के नेता जयराम महतो इस चुनाव के ‘गेम चेंजर’ माने जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जयराम महतो का वोट शेयर इस सीट की जीत-हार तय कर सकता है।
झामुमो की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधायक कल्पना सोरेन प्रचार की कमान संभाले हुए हैं, जबकि भाजपा की ओर से बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास और अन्नपूर्णा देवी जैसे बड़े नेता मैदान में उतरे हैं। दोनों दल संताली, बंगाली और ओबीसी वोटरों को साधने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
कुम्हार समाज में बंटी राय, बना निर्णायक वोट बैंक
घाटशिला में कुम्हार समुदाय इस बार ‘किंगमेकर’ की भूमिका में दिख रहा है। भाजपा समर्थक झारखंड कुम्हार संघ के कार्यक्रम में चंपाई सोरेन पहुंचे, जबकि प्रांतीय कुम्हार संघ झामुमो के समर्थन में दिखा। दोनों संघों के बीच यह विभाजन साफ संकेत देता है कि वोटों का बंटवारा इस बार बड़ा असर डाल सकता है।
स्थानीय मुद्दों पर सिमटी जंग
गांवों में अब भी पानी, सड़क और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चुनावी वादों के बावजूद इन बुनियादी जरूरतों में सुधार नहीं हुआ। इसी कारण मतदाता इस बार सोच-समझकर वोट देने का मन बना रहे हैं।
रणनीति बूथ से सोशल मीडिया तक
दोनों दल अपने पारंपरिक वोट बैंक को बचाने के साथ-साथ नए वोटरों को जोड़ने की कवायद में जुटे हैं। बूथ मैनेजमेंट, लोकल नेटवर्किंग और डिजिटल कैंपेन इस उपचुनाव की सबसे बड़ी ताकत बन चुके हैं।घाटशिला का जनादेश इस बार सिर्फ पार्टी नहीं, बल्कि जनता के मुद्दों की दिशा तय करेगा।
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