Operation Sindoor:
मास्को/कीव, एजेंसियां। रूस–यूक्रेन युद्ध के बदलते हालात के बीच यूक्रेन ने फ्रांस के साथ 100 राफेल लड़ाकू विमानों के ऐतिहासिक रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। यह डील यूरोप की सबसे बड़ी एविएशन खरीद में से एक मानी जा रही है। सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि राफेल की तैनाती युद्ध के समीकरण को पूरी तरह बदल सकती है, क्योंकि इस विमान की युद्ध-प्रमाणित क्षमता पहले ही वैश्विक स्तर पर स्थापित हो चुकी है।
ऑपरेशन सिंदूर: राफेल की वैश्विक विश्वसनीयता बनी बड़ी वजह
यूक्रेन द्वारा राफेल चुनने का सबसे बड़ा कारण भारतीय वायुसेना द्वारा मई 2025 में किए गए ऑपरेशन सिंदूर में राफेल का असाधारण प्रदर्शन है। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के कई प्रमुख एयरबेस – जैसे नूर खान, जैकोबाबाद, भोलारी, मुशाफ, कादरिम और सियालकोट पर गहरी और सटीक स्ट्राइक की थी।
राफेल की प्रमुख उपलब्धियां थीं:
• स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक क्षमता, जिससे सीमा पार किए बिना लक्ष्य भेदा गया
• SCALP और HAMMER मिसाइलों से भूमिगत और मजबूत बंकरों को सटीक निशाना बनाया
• SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, जिसने पाकिस्तान के रडारों को भ्रमित कर दिया
• एयर सुपीरियॉरिटी और नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर, जिसने बहु-डोमेन स्ट्राइक को सफल बनाया
इन क्षमताओं ने दुनिया को राफेल की वास्तविक शक्ति दिखा दी और यूक्रेन ने इसी भरोसे पर 100 राफेल खरीदने का फैसला किया।
यूक्रेन की सैन्य क्षमता में आएगा बड़ा सुधार
राफेल के शामिल होने से यूक्रेन को—
• रूस के अंदर लंबी दूरी तक सटीक हमले करने की क्षमता
• इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर में बढ़त
• उच्च स्तरीय एयर डिफेंस को चकमा देने की तकनीक
• यूरोपीय आकाश में सामरिक संतुलन बदलने की शक्ति
• मिलेगी। इससे यूक्रेन का वायु-शक्ति स्तर कई गुना बढ़ जाएगा।
फ्रांस-यूक्रेन साझेदारी का नया संकेत
यह डील केवल विमानों की खरीद नहीं, बल्कि फ्रांस और यूक्रेन के गहरे रणनीतिक सहयोग का संदेश भी है। राफेल की तैनाती रूस–यूक्रेन युद्ध को नए मोड़ तक ले जा सकती है ठीक उसी तरह जैसे ऑपरेशन सिंदूर में राफेल ने भारत को निर्णायक बढ़त दिलाई थी।



