रांची। झारखंड के डॉ मनीष रंजन देश के सर्वश्रेष्ठ आईएएस अधिकारियों में एक हैं।
साल 2022 में वह देश के टॉप 94 आईएएस अधिकारियों में पहले स्थान पर रहे थे। इसके बाद पूरा देश मनीष रंजन को जानने और पहचानने लगा।
मनीष रंजन ने अच्छे एकेमेडिशियन के रूप में अपनी पहचान बनाई है। आज एक बार फिर वह चर्चा में हैं।
पर आज उनकी चर्चा किसी उत्कृष्ट और शैक्षणिक कार्य के ले नहीं हो रही, बल्कि ईडी द्वारा उन्हें समन किये जाने को लेकर हो रही है।
टेंडर कमीशन घोटाले मामले में ईडी ने उन्हें समन कर 24 मई को पूछताछ के लिए बुलाया है।
दरअसल, मनीष रंजन फिलहाल झारखंड सरकार के भू राजस्व विभाग के सचिव हैं। इससे पहले वह ग्रामीण विकास विभाग के सचिव थे।
संभवतः इसी वजह से उन्हें समन किया गया है। अचानक चर्चा का केंद्र बने मनीष रंजन के बारे में हर कोई जानना चाहता है।
मनीष रंजन का अब तक शानदार एकेडेमिक और एडमिनिस्ट्रेटिव करियर रहा है।
साल 2022 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मसूरी में आयोजित 16वें मिड करियर ट्रेनिंग के फेज फोर में झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी डा. मनीष रंजन को डायरेक्टर गोल्ड मेडल और ट्रेनिंग में पहला स्थान मिला था।
इसमें पूरे देश से 94 आईएएस अधिकारियों ने भाग लिया था। उस समय मनीष रंजन झारखंड में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव पद पर पदस्थापित थे।
भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस डॉ मनीष रंजन का जन्म 10 जुलाई 1975 को हुआ। वह झारखंड कैडर के 2002 बैच के आईएएस हैं।
मनीष रंजन खूंटी और हजारीबाग समेत कई जिलों में उपायुक्त रह चुके हैं। वर्ष 2015 से अप्रैल 2017 तक माध्यमिक शिक्षा, स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के निदेशक रहे हैं।
डॉ मनीष रंजन स्वयं 2002 बैच के टॉपर और डायरेक्टर गोल्ड मेडल प्राप्त अधिकारी हैं। मनीष रंजन को अपने उत्कृष्ट कार्य और नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री द्वारा लगातार दो वर्षों तक मनरेगा उत्कृष्टता पुरस्कार, राष्ट्रपति द्वारा निर्मल ग्राम पुरस्कार मिल चुका है।
ये एक ऐसे आईएएस अधिकारी हैं जो आज भी विभिन्न विषयों का अध्ययन करते हैं। ये एक अच्छे वक्ता भी हैं।
वर्ष 2008 और 2009 में डॉ मनीष रंजन को प्रधानमंत्री से मनरेगा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कार मिल चुका है। वह देवघर एवं पाकुड़ में मनरेगा में उत्कृष्ट कार्य कर चुके हैं।
वर्ष 2007 में भारत के राष्ट्रपति ने भी मनीष रंजन को निर्मल पुरस्कार से पुरस्कृत किया था। यह पुरस्कार उन्हें लातेहार के अलौदिया पंचायत को प्रथम पूर्ण स्वच्छ पंचायत बनाने हेतु दिया गया।
मनीष रंजन एक बढ़िया लेखक भी हैं। उनकी कई किताबें बाजार में आ चुकी हैं। इसकी खूब सराहना भी हो चुकी है।
पुस्तकें बेस्ट सेलिंग रही हैं। सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए उनकी लिखी पुस्तकें बहुत ही उपयोगी है।
कहा कि इससे पहले यूपीएससी के लिए डॉ मनीष रंजन की पुस्तक सीसैट यूपीएससी की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी साबित हुई हैं।
इनकी पढ़ाई-लिखाई की बात करें, तो मनीष रंजन ने दसवीं बोर्ड और इंटर की पढ़ाई बिहार से की।
झारखंड के नेतरहाट स्कूल के छात्र रह चुके हैं। बिहार के पटना से भी उनका गहरा रिश्ता रहा है। बिहार बोर्ड और इंटर परीक्षा में वह टॉपर रह चुके हैं। बचपन से ही मेधावी रहे हैं।
मनीष रंजन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दिल्ली चले गए। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वह समाजशास्त्र में टॉपर रह चुके हैं।
मनीष रंजन ने आईएएस बनने के बाद 2007 में रांची यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में पीएचडी की डिग्री हासिल की।
गुजरात स्थित ग्रामीण प्रबंधन संस्थान से वह ग्रामीण प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त कर चुके हैं। ग्रामीण विकास में उनकी काफी रूचि रहती है।
मनीष रंजन की नाटक मंचन एवं ग्रामीण विकास में शुरू से दिलचस्पी रही है। बिहार के सारण जिले में जन्मे मनीष रंजन को नाटकों में काफी रुचि रही है। कॉलेज लाइफ में वह कई नाटकों के मंचन में शामिल रहे हैं।
आईएएस मनीष रंजन ने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनकी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करनेवाले छात्रों में काफी डिमांड है।
मनीष रंजन की चर्चित पुस्तकेः
डिसीजन मेकिंग एंड प्रॉब्लम सॉल्विंग- प्रकाशक- मैकग्रा हिल।
संचार कौशल सहित पारस्परिक कौशल – प्रकाशक – पियर्सन।
CSAT खंड एक – प्रकाशक – सेंगेज लर्निंग।
CSAT खंड दो – प्रकाशक – सेंगेज लर्निंग।
झारखंड का सामान्य ज्ञान – प्रकाशक – प्रभात पेपरबैक। आदि शामिल हैं।
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