Monday, July 7, 2025

हेमंत के मंत्रिमंडल में कहां है पेंच ? 6 : 4 : 1 फार्मूले में क्या है दिक्कत ? [Where is the problem in Hemant’s cabinet? What is the problem with the 6:4:1 formula?]

रांची। झारखंड में नई सरकार के सीएम हेमंत सोरेन शपथ ले चुके हैं। उन्होंने अपनी पहली कैबिनेट में ही 9 से 12 दिसंबर तक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला लिया है। पर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पेंच अब भी फंस रही है। कैबिनेट विस्तार कब होगा, अभी इसे लेकर कोई भी नेता कुछ भी नहीं कहना चाह रहे हैं।

आलम यह है कि कौन-कौन मंत्री होगा, इस पर कोई भी पार्टी पत्ते नहीं खोल रही है। जेएमएम की ओर से कौन मंत्री बनेगा, इसे लेकर कुछ नाम तो लगभग फाइनल माने जा रहे हैं पर कांग्रेस ने अब तक अपने मंत्रियों के नाम तय नहीं कर सकी है।

इधर दो सीट जीतने वाले भाकपा माले ने भी कैबिनेट से दूरी बनाए रखने की बात कही है। हालांकि अभी तक खुल कर यह नहीं कहा है कि वह कैबिनेट में रहेगी या नहीं। आज माले के महासचिव दीपांकर भट्‌टाचार्य पार्टी के निर्णय साझा करेंगे।

अगले सप्ताह मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीदः

पुख्ता सूचना है कि सरकार की विधानसभा सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार और कैबिनेट की एक बैठक बुलाने की योजना है। इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री ने अपने करीबियों से इसे लेकर चर्चा की है।

वहीं 9 से 12 दिसंबर तक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। इसे देखते हुए अगले सप्ताह मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद जताई जा रही है। क्योंकि विधानसभा सत्र में संसदीय कार्यमंत्री जरूरी है।

लॉबिंग में लगे कांग्रेस-जेएमएम विधायकः

मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के बाद मंत्री बनने के लिए लॉबिंग फिर शुरू हो गई है। सीएम के शपथ ग्रहण के बाद कांग्रेस के दीपिका पांडेय सिंहभूषण बाड़ा समेत कई विधायक दिल्ली पहुंच गए।

वहीं कांग्रेस और झामुमो के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात की। इनमें कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव, नमन विक्सल कोंगाड़ी और झामुमो विधायक अनंत प्रताप देव लुईस मरांडी शामिल हैं। ये लोग सीएम से मिलकर अपनी बात भी रख चुके हैं।

6 : 4 : 1 के फॉर्मूले पर कैबिनेट विस्तारः

नई सरकार में कैबिनेट का विस्तार अगले हफ्ते तक 6 : 4 : 1 के फॉर्मूले पर होने की पूरी संभावना है। इस फॉर्मूले के तहत जेएमएम से छह, कांग्रेस से चार और राजद से एक मंत्री होंगे। इसी फॉर्मूले को 5:1 का फॉर्मूला भी कहा गया है। इसका मतलब है 5 विधायक पर एक मंत्री।

नई सरकार में इनका मंत्री बनना लगभग तयः

जामताड़ा से चुनाव जीते कांग्रेस के डॉ. इरफान अंसारी अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। चुनाव के बीच उन्होंने प्रतिद्वंदी सीता सोरेन को लेकर विवादित बयान दे दिया। इस पर भाजपा आक्रामक रही। कांग्रेस के अल्पसंख्यक कोटे से इनका दोबारा मंत्री बनना लगभग तय है।

कोल्हान में चंपाई की काट रामदास सोरेनः

पूर्व CM चंपाई सोरेन को कोल्हान टाइगर कहा जाता था। कोल्हान एरिया में JMM का चेहरा था। 30 अगस्त को पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए, तब हेमंत सोरेन ने रामदास सोरेन को आगे किया। मंत्री बनाया, इस बार भी इनका मंत्री बनना तय है।

झारखंड आंदोलन की उपज हैं दीपक बिरुआ, दोबारा बन सकते हैं मंत्रीः

दीपक बिरुआ झारखंड आंदोलन की उपज है। आंदोलन के दौरान 1998 में इनका सम्पर्क चाईबासा के टाटा कॉलेज छात्र यूनियन के सचिव धनश्याम दरबारा से हो गया। इसके बाद वह आंदोलन से जुड़ गए। दोबारा इनकी हेमंत सरकार में एंट्री होना तय है।

महतो वोट बैंक साधने के लिए मथुरा महतो पर दांवः

हेमंत सोरेन महतो (कुर्मी) वोट बैंक को साधने टुंडी विधायक मथुरा महतो की लॉटरी लग सकती है। वो एक बार फिर मंत्री बन सकते हैं। मथुरा शिबू सोरेन के समय से राजनीति कर रहे हैं। वह पहले भी मंत्री रह चुके हैं।

हफीजुल को इस बार भी मिलेगा मौकाः

मधुपुर से चुनाव जीते हफीजुल दोबारा मंत्री बन सकते हैं। पिता हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद पहली बार वह बिना विधायक रहते ही मंत्री बने थे। बाद में उपचुनाव में जीतकर विधायक बने। वह JMM के अल्पसंख्यक चेहरा हैं।

राजद कोटे से सुरेश पासवान की खुल सकती है किस्मतः

राजद को मंत्रिमंडल में एक मंत्री पद मिलेगा। इसमें देवघर से विधायक सुरेश पासवान का मंत्री बनना लगभग तय है। उनके नाम से पहले गोड्डा से जीते संजय यादव का नाम आगे चल रहा था, लेकिन हुसैनाबाद से जीते संजय प्रसाद यादव नाराज ना हो जाए इसलिए उनका पत्ता कट गया। खबर है कि विवाद से बचने के लिए राजद ने मंत्रिमंडल के SC कोटे को अपने लिए ले लिया।

लुईस मरांडी भी दौड़ में:

वोटिंग से पहले तक लुईस मरांडी भाजपा में थीं। दुमका से चुनाव लड़ना चाहती थीं। टिकट नहीं मिला तो 21 अक्टूबर को JMM में शामिल हो गईं। हेमंत सोरेन ने उन्हें जामा विधानसभा सीट से टिकट दिया और जीत गईं। अब वह भी मंत्री पद की रेस में है।

बहरहाल, ये तो वो संभावित नाम है, जिनकी चर्चा चल रही है। परंतु कांग्रेस के सभी दावेदार विधायक दिल्ली में जमे हैं। इसलिए कांग्रेस में फंसा पेंच जब तक सुलझ नहीं जाता, हेमंत सोरेन का मंत्रिमंडल विस्तार बाधित है।

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