रांची। रांची में हुए जमीन घोटाले ने आखिरकार एक चुनी हुई सरकार को डूबो दिया। इसके कारण रातो रात झारखंड में सरकार बदल गई। रांची जमीन घोटाले की आंच में अब तक कई झुलस चुके हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंचने से पहले ईडी ने 15 लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया। बड़े-बड़े बिजनेस टाइकून और हाई प्रोफाइल लोगों की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ईडी के निशाने पर आये।
इस मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती गई वैसे-वैसे गिरफ्तारियां भी होती गई, लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा था कि राज्य के मुखिया भी इसके लपेटे में आयेंगे और रातोरात झारखंड की सरकार बदल जायेगी।
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि रांची समेत झारखंड में कई जगह भू माफिया का एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। दस्तावेज में हेराफेरी कर भूखंडों की अवैध तरीके से बिक्री की जा रही है।
और रांची में भू माफियाओं का एक बड़ा गिरोह सक्रिय है, जो करोड़ों की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री कर रहा है। ईडी की जांच के दौरान हेमंत सोरेन के एक पुराने साथी ने ईडी के सामने की गहरे राज उगल दिये।
आइये जानते हैं, इस जमीन और जमीन घोटाले को जिसने हेमंत सोरेन की सरकार गिरा दी। दरअसल, हेमंत पर ईडी ने जिस मामले में शिकंजा कसा है, वह रांची के बरियातू थाना क्षेत्र में स्थित कुछ महंगे भूखंडों से जुड़ा है, जिनकी डीड में हेराफेरी कर अवैध तरीके से खरीद-बिक्री की गई है।
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि राज्य में कई जगह भू माफिया का एक बड़ा रैकेट अवैध रूप से जमीन की खरीद-बिक्री कर रहा है।
सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से दस्तावेज में हेराफेरी कर ऐसे भूखंडों को भी अवैध तरीके से बेचा जा रहा है, जिनकी खरीद-बिक्री प्रतिबंधित है।
इस मामले में जांच आगे बढ़ी तो ईडी ने रांची के डीसी रहे छवि रंजन समेत कई अधिकारियों, कर्मचारियों, दलालों और व्यवसायियों को गिरफ्तार किया।
जांच के दौरान रांची के बड़गाई अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के आवास से बड़े पैमाने पर सरकारी दस्तावेज बरामद हुए।
इनके आधार पर हेमंत के करीबी पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश की भूमिका सामने आई और फिर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले से तार जुड़े। ईडी ने इस मामले में 41 ठिकानों पर छापेमारी की और पांच जगहों पर सर्वे किया।
छापेमारी में भूमि राजस्व विभाग की जाली मुहरें, जाली भूमि दस्तावेज, जालसाजों के बीच अपराध की कमाई के बंटवारे के प्रमाण एवं सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के प्रमाण मिले।
बताते चलें कि रांची में सेना के उपयोग वाली 4.55 एकड़ जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री के मामले में दर्ज प्राथमिकी से यह जांच शुरू हुई थी। अब यहीं से शुरू होती है पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के घिरने की कहानी।
और घेरनेवाला कौन, वह भी उनका कभी नजदीकी ही रहा था। ईडी ने अवैध खनन मामले में कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। इसमें बताया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा से निष्कासित पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल ने अपने बयान में प्रेम प्रकाश को मुख्यमंत्री का करीबी बताया था।
रवि केजरीवाल ने बताया था कि एक दिन वह हेमंत सोरेन के साथ उनके कार्यालय में बैठे थे, वहां हेमंत सोरेन ने पंकज मिश्रा को सीधे तौर पर निर्देश दिया कि संथाल परगना में पत्थर एवं बालू खनन से आने वाले पैसे वह प्रेम प्रकाश को दें।
इस दौरान यह भी तय हुआ कि प्रेम प्रकाश उससे पैसे लेकर व्यवसायी अमित अग्रवाल को देंगे। पंकज मिश्रा हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि हैं, जिन्हें गत वर्ष ईडी ने अवैध खनन में गिरफ्तार किया था। इसके बाद ही ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी।
जैसे-जैसे जांच की कडि़यां आगे बढ़ती गई, हेमंत सोरेन घिरते चले गये। गिरफ्तारी से हेमंत सोरेन भी समझ गये थे कि उनका अब बचना मुश्किल है। इसलिए उन्होंने हर हालात से निपटने के लिए पहले ही प्लान-ए, बी और सी तैयार कर लिया था।
जानिय जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन के अलावा कौन-कौन गिरफ्तार हो चुके हैं:
14 अप्रैल 2023 को: प्रदीप बागची, अफसर अली उर्फ अफ्सू खान, सद्दाम हुसैन, इम्तियाज अहमद, तल्हा खान, फैयाज खान व भानु प्रताप प्रसाद।
चार मई 2023 को रांची के पूर्व उपायुक्त निलंबित आइएएस छवि रंजन।
सात जून 2023 को दिलीप कुमार घोष एवं अमित कुमार अग्रवाल।
तीन जुलाई 2023 को भरत प्रसाद एवं राजेश राय।
31 जुलाई 2023 को विष्णु अग्रवाल।
11 अगस्त 2023 को प्रेम प्रकाश। और अंत में 31 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन।
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