नयी दिल्ली, एजेंसियां : प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि आधुनिक प्रक्रियाओं में कृत्रिम मेधा (एआई) के इस्तेमाल से ऐसे जटिल नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक विषय खड़े होते हैं जिनकी व्यापक समीक्षा की जरूरत है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कृत्रिम मेधा ‘नवोन्मेष की अगली सीमा’ तक ले जाती है तथा अदालती निर्णय प्रक्रिया में उसका इस्तेमाल अवसर और चुनौतियों दोनों ही पेश करता है जिनपर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि कृत्रिम मेधा अप्रत्याशित मौके प्रस्तुत करती है लेकिन साथ ही, वह खासकर नैतिकता, जवाबदेही और पक्षपात से संबंधित कई चुनौतियां भी खड़ी करती है तथा इन चुनौतियों के समाधान के लिए भौगोलिक और संस्थानों की सीमाओं से परे वैश्विक पक्षों द्वारा ठोस प्रयास की जरूरत है।
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