Caste census:
रांची। झारखंड में जनगणना अब पूरी तरह डिजिटल रूप में होने जा रही है। राज्य सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है और 9 नवंबर से डेटा एंट्री प्रक्रिया औपचारिक रूप से आरंभ होगी। यह पहली बार होगा जब जनगणना में मोबाइल एप, टैबलेट और ऑनलाइन पोर्टल जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाएगा। इससे पारंपरिक कागज आधारित प्रणाली लगभग समाप्त हो जाएगी और डेटा संग्रहण अधिक तेज़, पारदर्शी और सटीक होगा।
जियो-फेंसिंग और डिजिटल परिसीमन से सटीकता सुनिश्चित:
पहले चरण में पूरे राज्य में डिजिटल परिसीमन (Digital Delimitation) किया जाएगा। इसके तहत हर गांव और शहर की जियो-फेंसिंग की जाएगी ताकि क्षेत्रीय सीमाओं का सटीक निर्धारण हो सके। यह कार्य पूरा होने के बाद हाउस लिस्टिंग की तैयारी शुरू होगी।
राज्य सरकार ने पहले ही पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन दिवसीय प्री-टेस्ट ट्रेनिंग पूरी कर ली है, जिसमें डिजिटल डेटा एंट्री और पोर्टल संचालन की तकनीक सिखाई गई।
स्वयं अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे नागरिक:
जनगणना 2026-27 की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि नागरिक स्व-भरण (Self Enumeration) के तहत खुद अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे। इसके लिए एक सुरक्षित मोबाइल ऐप और पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा।
जानकारी दर्ज करने के बाद नागरिकों को एक यूनिक आईडी मिलेगी, जिसका उपयोग फील्ड सर्वे के दौरान सत्यापन के लिए किया जाएगा। यह सुविधा न केवल समय बचाएगी, बल्कि डेटा की गोपनीयता और सटीकता भी सुनिश्चित करेगी।
जनगणना का शेड्यूल और प्रशिक्षण कार्यक्रम:
राज्य सरकार के अनुसार, घरों की गणना का कार्य अप्रैल 2026 से अक्टूबर 2026 तक चलेगा।
फरवरी 2026 तक जनगणना से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का प्रशिक्षण पूरा कर लिया जाएगा।
इसके बाद 1 मार्च 2027 से प्रत्यक्ष जनगणना प्रक्रिया शुरू होगी। दिसंबर 2026 तक फील्ड अधिकारियों का अंतिम प्रशिक्षण चरण संपन्न होगा।
जातिगत और सामाजिक आंकड़े भी होंगे शामिल:
इस बार की डिजिटल जनगणना में जाति आधारित आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अन्य समुदायों से संबंधित विस्तृत जानकारी ली जाएगी।
राज्य सरकार ने 5 सितंबर 2025 को जनगणना अधिसूचना जारी की थी और मार्च 2027 तक फाइलिंग का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
तकनीक से बढ़ेगी पारदर्शिता और सटीकता:
डिजिटल जनगणना के लिए नवंबर 2024 से जनवरी 2026 तक मास्टर और फील्ड ट्रेनरों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
राज्य सरकार का कहना है कि यह पहल न केवल आंकड़ों की विश्वसनीयता बढ़ाएगी बल्कि डेटा प्रोसेसिंग और नीति निर्माण को भी तेज़ बनाएगी।
इस परियोजना के साथ झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जो पूरी तरह डिजिटल माध्यम से जनगणना करेगा — यह कदम भारत में जनगणना प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक बदलाव साबित होगा।
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