रांची। असम, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के आदिवासी व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आदिवासियों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है।
असम से आये आदिवासी और सामाजिक कार्यकर्ता एमानुएल पूर्ति ने बताया कि असम में झारखंडी आदिवासी चाय बागानों में सबसे ज्यादा शोषण का शिकार हो रहे हैं।
मध्य प्रदेश के आदिवासी नेता राधेश्याम काकोड़िया ने कहा कि भाजपा के “डबल बुलडोजर राज” के कारण आदिवासियों की संस्कृति, पहचान और अधिकार खतरे में हैं।
वहीं छत्तीसगढ़ के आलोक शुक्ला ने आरोप लगाया कि अडानी समूह के मुनाफे के लिए हसदेव अरण्य के जंगलों को उजाड़ा जा रहा है। यहां बिना ग्राम सभा की सहमति के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खनन का कार्य चल रहा है।
इसे भी पढ़ें