• 8 से 10 माह के बकाया भुगतान के लिए राशि ही नहीं
• हाईस्कूलों के नवनियुक्त शिक्षक झेल रहे आर्थिक तंगी
• फांके ही गुजरे दशहरा और दिवाली और होली पर भी आफत
• आवंटन पत्र में 301 यानी उत्क्रमित हाईस्कूल गायब
• जिला कार्यालय कर रहे उत्क्रमित हाईस्कूलों के लिए अलग से आवंटन का इंतजार
रांची, एजेंसियां। शिक्षा विभाग की एक गलती से राज्य के उत्क्रमित विद्यालयों के हजारों शिक्षक फंस गये हैं।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की इस गलती का खामियाजा शिक्षकों को उठाना पड़ रहा है। इधर, जिला शिक्षा कार्यालय में कर्मचारी विभाग का पत्र लेकर इधर-उधर चक्कर काट रहे हैं।
उन्हें भी समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करें। पूछे जाने पर उनका दो टूक कहना है कि उत्क्रमित हाईस्कूलों के लिए आवंटन नहीं आया है। आयेगा तो भुगतान होगा।
इधर हाईस्कूल के शिक्षकों के जनवरी और फरवरी के वेतन भुगतान का मामला उलझ गया है। इतना ही नहीं, नवनियुक्त शिक्षकों का बकाया भी नहीं मिल सका है।
जिलों के पदाधिकारी बता रहे हैं कि उत्क्रमित विद्यालयों के लिेए आवंटन ही नहीं आया है। जिलों के पदाधिकारी जब विभाग से संपर्क करते हैं, तो उन्हें मौखिक बताया जा रहा है कि जो पत्र मिला है, उसके आधार पर ही भुगतान कर दें।
जिलों के पदाधिकारियों का कहना है कि यह संभव ही नहीं है। ट्रेजरी भी इस पत्र के आधार पर भुगतान नहीं कर सकता, क्योंकि इस पत्र में उत्क्रमित विद्यालयों का जिक्र ही नहीं है।
क्या है मामला
दरअसल पिछले दिनों स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से हाईस्कूल के शिक्षकों के वेतन आदि के लिए चार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया।
इसके साथ जो आवंटन पत्र भेजा गया है उसमें राजकीय, राजकीयकृत जैसे उच्च विद्यालयों के नाम हैं। परंतु इसमें उत्क्रमित उच्च विद्यालयों को छोड़ दिया गया है।
इसके साथ ही एक और पत्र भेजा गया है, जिसमें योजनामद और गैर योजनामद का जिक्र तो है, परंतु कुछ भी स्पष्ट नहीं होने से जिलों के पदाधिकारी और कर्मचारियों को मामला ही समझ नहीं आ रहा कि आखिर भुगतान कैसे होगा।
उनका कहना है कि अब या तो अलग से उत्क्रमित हाईस्कूलों के लिए आवंटन आये या आवंटन पत्र को संशोधित कर भेजा जाये।
इसमें 301 यानी उत्क्रमित हाइस्कूलों का जिक्र नहीं है। इतना ही नहीं, आवंटित चार करोड़ की राशि को भी अपर्याप्त बताया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि इतने से तो सिर्फ जनवरी के वेतन का भी भुगतान नहीं हो सकता। जबकि शिक्षकों का जनवरी और फरवरी का वेतन बकाया है।
10 माह से वेतन की बाट जोह रहे नवनियुक्त शिक्षक
सबसे बुरी हालत राज्य के हाईस्कूलों में नवनियुक्त शिक्षकों की है। इनकी नियुक्ति पिछले साल मई माह में हुई थी।
इनमें से कई शिक्षकों को बीते दिसंबर माह में नवंबर यानी एक माह का वेतन दिया गया। इसके बाद फिर कुछ शिक्षकों को फरवरी में दिसंबर माह का वेतन दिया गया। परंतु उनके बकाया जस का तस है।
अभी कई शिक्षकों का वेतन फंसा पड़ा है और वे 10 माह से वेतन की आस में काम किये जा रहे हैं। इनमें से कई शिक्षकों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है।
इन शिक्षकों का कहना है कि दशहरा और दिवाली तो किसी तरह तंगहाली में गुजर गये अब होली कैसे गुजरेगी।
त्योहार सिर पर है। देखा जाये तो जिन शिक्षकों को दो माह का वेतन मिला, उनका मई से अक्टूबर और जनवरी तथा फरवरी यानी लगभग साढे सात माह का वेतन बकाया है।
जिन्हें एक माह यानी दिसंबर का वेतन मिला है, उनका साढ़े आठ माह का वेतन बकाया है। बाकी सभी का साढ़े नौ माह का वेतन बकाया है।
बता दें कि राज्य के हाईस्कूलों में पिछले साल करीब पांच हजार शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।
विभाग का चक्कर लगा रहे शिक्षक
नवनियुक्त शिक्षक अपने वेतन और अन्य बकायों को लेकर विभाग का चक्कर लगाकर थक गये हैं।
अब भी ऐसे कई शिक्षक हैं जिनके प्रमाण पत्रों के सत्यापन का कार्य पूरा नहीं हो सका है। कई ऐसे शिक्षक हैं, जिनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन तो हो चुका है, बावजूद इसके वे वेतन से वंचित हैं।
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