रांची। झारखंड में बीजेपी के लिए कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की नींद उड़ी हुई है। नींद उड़ने का मुख्य कारण एक आंतरिक सर्वे, जो पार्टी के द्वारा ही कराया गया है।
शायद यही कारण है कि केंद्रीय कृषि मंत्री सह झारखंड के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान को यहां कैंप करना पड़ रहा है। इधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल से निकलने के बाद से ही बीजेपी पर हमलावर हैं।
उधर इस ताजा तरीन इस इंटरनल सर्वे की रिपोर्ट ने भाजपा नेताओं की परेशानी बढ़ा दी है। दरअसल, लोकसभा चुनाव में अपेक्षाकृत नतीजे से दूर रहने के बाद बीजेपी के थिंक टैंक ने झारखंड में यह इंटरनल सर्वे कराया है, ताकि जनता के मिजाज का पता चल सके।
पर नतीजे बीजेपी को हैरान-परेशान करनेवाले हैं। आइए ताजा राजनीतिक हालत को समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर बीजेपी इतनी परेशान क्यों है।
क्यों कराया गया आंतरिक सर्वे
सबसे पहले जानते हैं कि आंतरिक सर्वे की जरूरत क्यों पड़ी। झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। लोकसभा और विधानसभा से लेकर चुनाव को बीजेपी काफी गंभीरता से लेती है। इसे लेकर पार्टी की ओर से हर दिन तैयारियां की जाती है।
चुनाव के पहले बीजेपी की ओर से कई बार आंतरिक सर्वे भी कराया जाता है। इस आंतरिक सर्वे का उद्देश्य विभिन्न सीटों के लिए पार्टी उम्मीदवार के चयन से लेकर जीत की संभावना का आकलन और विरोधियों की ताकत का अंदाजा लगाया जाता है।
इस साल के अंत तक होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर भी पार्टी की ओर से एक आंतरिक सर्वे कराया गया। पहले आतंरिक सर्वे की रिपोर्ट से बीजेपी नेताओं के माथे पर बल पड़ गये हैं।
यही कारण है कि लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को विधानसभा चुनाव प्रभारी और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को सह प्रभारी नियुक्त किया गया। दोनों नेताओं को चुनाव के पहले की आवश्यक तैयारियों की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं।
अभी चुनाव होने पर बीजेपी को मिलेगी सिर्फ 15 से 20 सीटें
पार्टी की आंतरिक सर्वे की जो रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक यदि अभी चुनाव हो जाए, तो बीजेपी को मिलने वाली सीटों की संख्या में कमी आएगी। रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में बीजेपी को सिर्फ 15 से 20 सीटें ही मिलेगी।
यानी वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव की तुलना में सीटों की संख्या में पांच से छह की कमी हो जायेगी। वर्ष 2019 में बीजेपी को 25 सीटें मिली थी। जेएमएम के बाद बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन उस वक्त सरकार बनाने के लिए आवश्यक 41 का संख्या जुगाड़ कर पाने में विफल होने के कारण पिछले पौने पांच वर्षों से राज्य में विपक्ष में है।
लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी-एनडीए को झटका
लोकसभा चुनाव 2024 में भी बीजेपी-एनडीए को झारखंड में तगड़ा झटका लगा। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी-एनडीए गठबंधन ने राज्य की 14 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की। उस वक्त बीजेपी को 11 और एनडीए में शामिल सहयोगी दल आजसू पार्टी को एक सीट मिली।
लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 8 और आजसू पार्टी को एक सीट मिली। इस तरह से तीन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बीजेपी-आजसू पार्टी उम्मीदवारों को राज्य की 55 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल हुई।
शिवराज झारखंड में हिमंता कल आएंगे
विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बीजेपी की ओर से कई सांगठनिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके तहत रविवार से ही केंद्रीय मंत्री और पार्टी के विधानसभा चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान रांची में हैं। वह आज लौट जायेंगे। इसके बाद 16 जुलाई को असम के सीएम और बीजेपी के विधानसभा सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा रांची आएंगे।
वो 16 जुलाई को तोरपा और खूंटी विधानसभा क्षेत्र के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद 17 जुलाई को संगठन प्रभारी डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों झारखंड दौरे पर रहेंगे।
लक्ष्मीकांत दीक्षित जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के कार्यक्रम में शामिल होंगे। जबकि शिवराज सिंह चौहान रांची और हटिया विधानसभा क्षेत्र के कार्यक्रम में शामिल होंगे।
अमित शाह 20 जुलाई को आएंगे झारखंड
एक ओर जहां चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा का लगातार दौरा हो रहा है। वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह 20 जुलाई को 20 हजार कार्यकर्ताओं के बीच बीजेपी के विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। यह पहला अवसर है, जब एक साथ प्रदेश से लेकर मंडल स्तर के पार्टी पदाधिकारी और कार्यसमिति के सदस्य बैठेंगे और चुनाव जीतने की रणनीति बनाएंगे।
एक ओर जहां चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा का लगातार दौरा हो रहा है। वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह 20 जुलाई को 20 हजार कार्यकर्ताओं के बीच बीजेपी के विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे।
यह पहला अवसर है, जब एक साथ प्रदेश से लेकर मंडल स्तर के पार्टी पदाधिकारी और कार्यसमिति के सदस्य बैठेंगे और चुनाव जीतने की रणनीति बनाएंगे।
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