नयी दिल्ली, एजेंसियां : उच्चतम न्यायालय ने शुद्ध ऋण की सीमा से जुड़े केरल सरकार के मामले को सोमवार को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने राज्य द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर यह आदेश दिया।
केरल सरकार ने केंद्र पर आरोप लगाया है कि उसने शुद्ध कर्ज पर सीमा तय कर राज्य के वित्त को विनियमित करने की उसकी ‘‘विशेष, स्वायत्त और पूर्ण शक्तियों’’ में हस्तक्षेप किया है।
पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 293 का उल्लेख किया, जो राज्यों द्वारा ऋण लेने से संबंधित है। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इस प्रावधान की अभी तक कोई आधिकारिक व्याख्या नहीं दी है।
केरल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर मूल मुकदमे में कहा है कि संविधान विभिन्न अनुच्छेदों के तहत राज्यों को अपने वित्त को विनियमित करने के लिए राजकोषीय स्वायत्तता प्रदान करता है और उधार लेने की सीमा राज्य कानून द्वारा विनियमित होती है।
संविधान का अनुच्छेद 131 केंद्र और राज्यों के बीच किसी भी विवाद की स्थिति में शीर्ष अदालत के मूल क्षेत्राधिकार से संबंधित है।
इसे भी पढ़ें
कांग्रेस का घोषणापत्र पांच अप्रैल को जारी होगा, अगले दिन जयपुर और हैदराबाद में रैली