Silli Tiger:
रांची। रांची से करीब 400 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के गुरु घासीनाथ जंगल में जन्मा किला बाघ 2 साल पहले जंगल से भटकने के बाद पलामू स्थित टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पहुंचा। 18 महीने तक पलामू में रहने के बाद वह चतरा के जंगल में चला गया। वहां से भोजन की तलाश में हजारीबाग, फिर गुमला, खूंटी व दलमा के जंगल में भटकता रहा।
दलमा में रहने के बाद वह खूंटी के रास्ते 2 महीने पहले राजधानी रांची के ग्रामीण इलाकों में पहुंच गया। बुंडू व नामकुम में 2 महीने तक भ्रमण करने के बाद बुधवार की अगले सुबह सिल्ली स्थित एक घर में घुस गया। इसके बाद पलामू टाइगर रिजर्व यानी पीटीआर की टीम उसे रेस्क्यू कर फिर से पलामू ले गई।
Silli Tiger: 2023 में पहली बार इस बाघ की फोटो आई थीः
पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने कहा कि वर्ष 2023 में पहली बार इस बाघ को कैमरे में कैद किया गया था। 18 महीने तक पलामू में रहा। दो माह से वह खूंटी व रांची में भटक रहा था। बुधवार को वह सिल्ली के एक घर में प्रवेश कर गया, जिसके बाद रेस्क्यू कर गुरुवार को पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में छोड़ा गया है।
Silli Tiger: पहले इंजेक्शन लगा कर किया गया था बेहोशः
सिल्ली के एक घर में बाघ के घुस जाने की जानकारी मिलते ही पलामू से रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची और ऑपरेशन सम्राट के तहत किला बाघ को कब्जे में लिया। रेस्क्यू के बाद पिंजरा में डाले जाने के बाद भी बाघ लगातार पंजे मारता रहा। 4 साल 6 महीने की उम्र के किला बाघ को नियंत्रित करने के लिए सभी प्रकिया पूरी करते हुए बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया। पलामू स्थित टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ले जाने के बाद होश में लाने का इंजेक्शन दिया गया, फिर पिंजरे से छोड़ा गया।
Silli Tiger: 200 किलो है वजन, साढ़े चार साल है उम्रः
पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि किला बाघ की उम्र 4 साल 6 महीने है। वजन लगभग 200 किलोग्राम है। किला बाघ पूरी तरह से स्वस्थ है और बहुत ही अच्छा प्रवृति का है। रॉयल बंगाल टाइगर नस्ल का यह बाघ दुनिया की जनसंख्या के हिसाब से भारत में 70 प्रतिशत है। उपनिदेशक ने यह भी कहा कि कैमरे में इसे पहली बार वर्ष 2023 में देखा गया था, लेकिन अबतक किसी आदमी ने इसे नहीं देखा था।
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