रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुका है। दूसरे चरण में 20 नवंबर को सीएम हेमंत सोरेन, पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो, मंत्री इरफान अंसारी, कल्पना सोरेन और बाबूलाल मरांडी समेत कई दिग्गजों के किस्मत ईवीएम में लाक हो गये।
दूसरे चरण में झारखंड की सबसे हाई प्रोफाइल सीट में से एक सिल्ली में चुनाव संपन्न हो चुका है। इस सीट पर सबकी निगाहें थीं। इस बार त्रिकोणीय लड़ाई में यह और मजेदार हो गयी है।
राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो के गढ़ में झामुमो के अमित महतो एवं जेएलकेएम के देवेंद्र महतो चुनौती दे रहे हैं। सिल्ली में सबका अपना-अपना चुनावी पॉकेट है। इसलिए इस बार किसकी तरफ हवा का रूख है यह अंदाजा लगाना आसान नहीं है।
सुदेश महतो के लिए विकास का मॉडल सिल्ली राजनीतिक संघर्ष के नये मोड़ पर खड़ा हो गया है। आजसू का इस क्षेत्र में अपना कामकाज और पैठ है। एक बड़े वोट बैंक पर आजसू का कब्जा है। वहीं, अमित महतो के पास इंडी गठबंधन का परंपरागत वोट बैंक है। जे
केएलएम के देवेंद्र महतो ने अपनी जगह कुछ खास इलाके में बनाने की कोशिश की और कुछ हद तक सफल भी रहे। उन्होंने जातीय वोट बैंक में सेंधमारी भी की है। यहां 76.7 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई है। महिलाओं ने भी खासा उत्साह दिखाया है। मतदाताओं ने अपना फैसला सुना दिया है, जो 23 नवंबर को सामने आ ही जायेगा।
सिल्ली, सोनाहातू, राहे के दर्जनों बूथ पर महिलाओं की लंबी-लंबी कतार दिखीं। महिलाओं में वोटिंग का उत्साह चरम पर था। इतना ही नहीं, चुनावी मिजाज भी महिलाएं तय करती हुईं दिखीं। सुदेश महतो ने महिला समिति को इस क्षेत्र में मजबूत बनाया है, वहीं कहीं-कहीं मंईयां सम्मान योजना का करंट भी दिखा।
सिल्ली और शहरी इलाके में वोटरों का मिजाज कुछ और था, तो सोनाहातू के मुद्दे और समस्याएं कुछ और थे। वोटर अपने-अपने एजेंडे के साथ वोट करने पहुंचे थे। सिल्ली प्रखंड और इसके आसपास में आजसू की मजबूत पकड़ है, जो दिखी भी, वहीं सोनाहातू, राहे और अनगड़ा में जमकर सेंधमारी हुईय़ हर दल ने एक दूसरे के फसल काटे हैं।
सोनाहातू के बूथों में ग्रामीण वोटरों का उत्साह देखने लायक था। पर ये सभी अलग-अलग खेमे में बंटे हुए थे। सबके अपने-अपने एजेंडे थे। यहां की तमाम बूथ पर तीनों ही प्रत्याशियों के बीच संघर्ष चलता दिखा।
युवा के लिए अलग एजेंडा और पंसद थे। युवाओं के लिए 4जी और 5जी भी मुद्दे रहे। युवतियों में रोजगार का भी मुद्दा रहा। यहां की युवतियां हजार-पांच सौ रुपये से संतुष्ट नहीं है, जो कहीं न कहीं मंईयां सम्मान योजना को पीछे छोड़ता है।
सोनाहातू में पानी की समस्या को लेकर भी वोट पड़े। खास कर महिलाएं इस समस्या को लेकर गंभीर दिखीं। वहीं सिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में आजसू की धमक बरकरार दिखी। मतलब ये ही आजसू का कामकाज, सुदेश महतो के प्रयास से गठित महिला समिति, खेल संगठन, गूंज महोत्सव से जुड़े लोग, आसपास के शिक्षण संस्थान भी एनडीए के पक्ष में हवा बनाते दिखे।
अब चुनाव हो चुके हैं और प्रत्याशियों के भविष्य ईवीएम में लॉक हैं। वोटिंग का ट्रेंड फिलहाल यही इशारा कर रहा है कि इस तिकोनीय मुकाबले में भी सुदेश महतो भारी पड़ सकते हैं।
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