Shubhanshu Shukla:
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जो इस समय अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मौजूद हैं, ने 6 जुलाई 2025 को इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन को फोन कर अपनी सुरक्षित अंतरिक्ष यात्रा के लिए आभार व्यक्त किया। शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत ISS पहुंचे हैं, जो भारत और अमेरिकी कंपनी Axiom Space के सहयोग से संचालित हो रहा है। इस दौरान उन्होंने इसरो की पूरी टीम को उनके योगदान के लिए धन्यवाद कहा और अंतरिक्ष में चल रहे वैज्ञानिक प्रयोगों की जानकारी भी साझा की।
Shubhanshu Shukla:इसरो प्रमुख ने शुक्ला का हालचाल जाना
बातचीत में इसरो प्रमुख ने शुक्ला का हालचाल जाना और ISS में चल रहे प्रयोगों के बारे में विस्तार से पूछा। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि पृथ्वी पर लौटने के बाद शुक्ला अपने अनुभवों और प्रयोगों का दस्तावेजीकरण करें, ताकि आने वाले गगनयान मिशन के लिए भारत को उपयोगी जानकारी मिल सके। गगनयान मिशन भारत का पहला स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारत को मानव को लो-अर्थ ऑर्बिट में भेजने में सक्षम बनाना है।
Shubhanshu Shukla:इस कॉल के दौरान इसरो के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे
इस कॉल के दौरान इसरो के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, जिनमें विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के निदेशक डॉ. उन्नीकृष्णन नायर, लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के निदेशक एम. मोहन, इसरो इनर्शियल सिस्टम यूनिट (IISU) के निदेशक पद्मकुमार ई. एस., वैज्ञानिक सचिव और पूर्व LPSC निदेशक एन. वेदाचलम, और अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक मौजूद थे।
Shubhanshu Shukla:शुक्ला ने यह भी बताया
शुक्ला ने अंतरिक्ष में चल रहे प्रयोगों जैसे हड्डियों पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन, मानव स्वास्थ्य संबंधी प्रयोग और सूक्ष्मगुरुत्व में जैविक प्रक्रियाओं की जानकारी दी। उनका यह मिशन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे बीमारियों के इलाज, मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभाव और भविष्य में लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों के लिए मूल्यवान डाटा प्राप्त होगा।शुक्ला ने यह भी बताया कि कैसे वे वैज्ञानिक लक्ष्यों को पूरा करने में जुटे हैं और किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में समय बिताना शारीरिक और मानसिक रूप से demanding है, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों के सहयोग और प्रशिक्षण की बदौलत वे सफलतापूर्वक अपना मिशन पूरा कर रहे हैं। यह संवाद भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में एक अहम मील का पत्थर माना जा रहा है, जो देश के आत्मनिर्भर और उन्नत अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में एक और सशक्त कदम है।
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