धनबाद: धनबाद की सरस्वती देवी के मौन व्रत तोड़ने के बाद धनबाद वापस लाने के लिए बुधवार की रात उनके परिवार के करीबी लोग अयोध्या रवाना हो गये हैं।
इस दौरान धनबाद स्टेशन का माहौल राममय हो गया, लोग भगवान राम के जयकारे लगा रहे थे।
लोग काफी उत्साहित दिखे. सरस्वती देवी को वापस धनबाद लाने के लिए उनके बेटा, बहु, बेटी, नाती, पोती सहित अन्य परिचय के लोग रवाना हुए हैं।
मौन व्रत तोड़ने के बाद से सरस्वती देवी अभी तक अयोध्या में ही निवास कर रही हैं। काफी समय बीतने के बाद अब उनके परिवार के लोगों ने उन्हें लाने के लिए धनबाद से रवाना हो गये हैं।
सरस्वती देवी अयोध्या के सबसे बड़े मंदिर, मणि राम दास की छावनी के प्रमुख और राम जन्मभूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नित्य गोपाल दास के संपर्क में थीं।
वह अक्सर ही उनसे मिलने जाया करती थीं। गोपाल दास उनके प्रण के बारे में जानते थे।जब इस साल 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम लला का प्राण प्रतिष्ठा हुआ, तो उस कार्यक्रम में सरस्वती देवी को भी आमंत्रित किया गया।
अयोध्या पहुंचने के बाद सरस्वती देवी ने 30 सालों बाद अपना मौन व्रत तोड़ा।
तीस साल पहले लिया था प्रण
दरअसल, सरस्वती अग्रवाल ने 30 साल पहले प्रण लिया था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनेगा तब तक वे मौन रहेंगी।
इस वक्त सरस्वती देवी 85 साल की है। अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन ‘राम-नाम’ बोलकर अपना प्रण पूरा कियें।
विवादित ढांचा गिरने के बाद लिया प्रण
सरस्वती देवी भक्ति में लीन रहने वाली महिला हैं। उनका ज्यादातर समय तीर्थ स्थलों पर पर ही गुजरता है।
वह हमेशा मौन धारण किए रहती है। कुछ भी बोलने के लिए वे पेन और कॉपी की सहायता लेती है।
दरअसल, सरस्वती देवी ने 1991 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरने के बाद ही मौन धारण किया था।
उन्होंने प्रण लिया था कि जब तक प्रभु राम मंदिर में विराजमान नहीं होंगे तब तक वे मौन रहेंगी।
इशारों से ही करती हैं बात
सरस्वती देवी के परिजनों के मुताबिक उनके घर में जदब भी कोई समारोह हुआ, तो उनमें वह शामिल तो होती रहीं, पर मुंह से कभी कुछ नहीं कहा। सिर्फ इशारों से ही अपनी बात कहती आईं।
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