रामनवमी क्यों मनाते हैं
चैत्र नवरात्र शुरू हो चुका है। इसके साथ ही रामनवमी की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। मंगलवारी जुलूस निकल रहे हैं।
मंदिर महावीरी झंडे से पट गये हैं। जगह-जगह ढोल नगाड़ों की गूंज सुनाई देने लगी है। ढोल नगाड़ों की ये आवाज बता रही है रामनवमी निकट है।
रामनवमी का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। परंतु झारखंड में तो इसे लेकर कुछ खास ही उत्साह रहता है।
झारखंड के हजारीबाग और रांची की रामनवमी तो देखने लायक होती है। इसमें लाखों लोग शामिल होते हैं।
बड़ी बड़ी और भव्य महावीरी पताकों के बीच जय श्रीराम और बजरंगबली की गूंज अलग ही माहौल बना देती है।
पर आज हम बात करेंगे कि रामनवमी क्यों मनाई जाती है और क्या है इसका महत्व।
सनातन धर्म में रामनवमी विशेष महत्व रखता है। इस दिन लोगों की आस्था के केंद्र भगवान श्रीराम का जन्मदिवस मनाया जाता है।
इस अवसर पर मंदिर और मठों में पूजन और यज्ञ किए जाते हैं। साथ ही कई जगहों पर लोग भंडारे के रूप में प्रसाद का वितरण भी करते हैं। इसके साथ ही इस दिन नवरात्र की भी समाप्ति होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को यह पर्व मनाया जाता है। रामनवमी के दिन श्रद्धालु भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करते हैं।
वहीं, इस दिन झारखंड में बड़ी-बड़ी शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसमें देवी-देवताओं की सवारी निकाली जाती है।
राम नवमी का क्या है महत्वः
हिंदु मान्याताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों का अंत करने के लिए भगवान श्रीराम के रूप में अवतार लिया था।
भगवान श्रीराम का जन्म राजा दशरथ और माता कौशल्या के यहां हुआ था। श्रीराम का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था।
बता दें कि मध्याह्न काल दो घंटे 24 मिनट तक चलता है। इस दिन को भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और भगवान श्रीराम का भी अभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं।
यहां है श्रीराम के प्रमुख मंदिरः
रामनवमी के अवसर पर भक्तों की श्रीराम के मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए भीड़ जुटती है।
अलग-अलग राज्यों में श्रीराम के कुछ प्रमुख मंदिर हैं, जिसमें अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि, नासिक का श्री कालाराम मंदिर, सोमनाथ, शिकोहाबदा और भीमाशंकर का श्रीराम मंदिर प्रमुख है।
रामनवमी क्यों मनाते हैं :
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान राम और उनके भाईयों के जन्म को लेकर एक पौराणिक कथा है।
राजा दशरथ की तीनों रानियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी में से तीनों को जब पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी, तो राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया।
प्रसाद में यज्ञ से निकली खीर को तीनों रानियों को खिला दिया गया था फिर कुछ समय बाद राजा दशरथ के घर में खुशखबरी सुनने को मिली यानी तीनों रानियों ने गर्भधारण किया।
चैत्र शुक्ल नवमी के दिन कौशल्या माता ने राम, कैकेयी ने भरत और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। राजा दशरथ को अब उनके उत्तराधिकारी मिल चुके थे।
तब से यह तिथि रामनवमी के रूप में मनाई जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान राम के जन्म के वक्त सूर्य और 5 ग्रहों की शुभ दृष्टि भी थी और इन खास युगों के बीच राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र का जन्म हुआ।
इसी शुभ मौके पर गोस्वामी तुलसीदास ने महाकाव्य रामचरितमानस की शुरू की थी। इस कारण से भी अयोध्या नगर वासियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है और वह इस दिन को बहुत शुभ भी मानते हैं।
इस दिन का महत्वः
हिंदू धर्म में रामनवमी का बहुत अधिक महत्व होता है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी भक्त पूरे भक्ति भाव और विधि विधान से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा करते हैं, उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
आपको बता दें कि इस दिन कई जगहों पर भव्य कार्यक्रम और मेले आयोजित किए जाते हैं।
मान्यताओं के अनुसार रामनवमी के दिन माता दुर्गा और श्री राम जी की पूजा पूरे विधि पूर्वक करने वाले भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और साथ ही उनके जीवन से कष्टों का नाश होता है।
रामनवमी के साथ नवरात्रि का समापन भी किया जाता है। यही वजह है कि इस दिन कई लोग कन्या पूजन कर माता रानी की आराधना करते हैं।
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