पटना,एजेंसियां: बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने करीबी माने जाने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
कयास लगाए जा रहा था कि मनीष वर्मा को नीतीश की पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। ऐसे में गुरुवार को कयासों का दौर खत्म हो गया। उन्हें जदयू का राष्ट्रीय महासचिव बना दियें।
दरअसल, दो दिन पहले ही आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा विधिवत रूप से का दामन थामा था। उसके बाद से बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई थी।
नीतीश कुमार के अतिरिक्त परामर्शी रहे मनीष वर्मा को लेकर लोकसभा चुनाव से पहले ही यह चर्चा थी कि वो सक्रिय राजनीति में आयेंगे।
उनके नालंदा से चुनाव लड़ाने की भी चर्चा थी। पिछले दिनों राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली में हुई बैठक में भी उनके नाम की चर्चा थी।
कौन हैं मनीष वर्मा
मनीष कुमार वर्मा मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति से आने के साथ-साथ उनके करीबी रिश्तेदार भी बताए जाते हैं।
मनीष कुमार वर्मा 2000 में ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी बने और सबसे पहले वह ओडिशा के कालाहांडी में सब कलेक्टर बनाए गए थे। इसके बाद वह गुनपुर, रायगढ़ में एसडीएम के पद पर रहे।
मनीष कुमार वर्मा को नौकरी के पांच साल बाद पहली बार मलकानगिरी जिले का डीएम बनाया गया था।
2012 तक वह ओडिशा में कई जिलों के डीएम रहे। बिहार में पांच साल रहने के दौरान 2014 में पटना और पूर्णिया का भी DM बनाया गया और 2016 में मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी काम किया।
23 मार्च 2018 को पांच साल पूरा हुआ तो भारत सरकार की मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति की ओर से पत्र जारी किया गया और इन्हें वापस ओडिशा भेजा जाने लगा तो मनीष कुमार वर्मा ने इनकार कर दिया। वीआरएस लेकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
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