नई दिल्ली। सरोगेसी का नया कानून आ गया है। करीब एक साल बाद इसकी अधिसूचना जारी हुई है। जबकि पिछले साल 14 मार्च को इससे संबंधित निर्णय ले लिया गया था।
नये बदलावों के साथ आये इस कानून के तहत अब लोग बच्चे के लिए एग या शुक्राणु कहीं से भी ले सकेंगे। साथ ही सरोगेसी के नियमों में भी कुछ बदलाव किया गया है।
पहले के कानून के मुताबिक सरोगेसी चाहने वाले दंपती को अपने एग और शुक्राणु ही उपयोग करने की अनुमति थी। डोनर के गेमेट इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद अब कानून में बदलाव किया गया है। इसके साथ ही बच्चा चाहने वाले दंपत्तियों के लिए खुशखबरी आ गई है।
जो सरोगेसी (किराए की कोख) के जरिए माता-पिता बनने का सपना देख रहे हैं, उनके लिए अच्छी खबर आ गई है।
क्या हुआ है बदलाव
केंद्र सरकार ने सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 में संशोधन किया है, जिससे अब डोनर गेमाइट्स यानी अंडाणु या शुक्राणु का उपयोग करने की अनुमति दे दी गई है, बशर्ते कि साझेदारों में से कोई एक मेडिकल कंडीशन के कारण अपने स्वयं के गेमाइट्स का उपयोग करने में असमर्थ हो।
यह बदलाव उन दंपतियों के लिए शुभ संदेश है, जो बच्चा चाहते हैं और सरोगेसी के जरिए माता-पिता बनना चाहते हैं।
विशेषज्ञ कर रहे तारीफ
जानकारों के मुताबिक सरकार का आदेश सरोगेसी चाहने वाले जोड़ों के लिए राहत लेकर आया है। अधिकांश जोड़े कई बार गर्भपात और असफल आईवीएफ के बाद ही सरोगेसी का विकल्प चुनते हैं।
यदि बच्चे पैदा करने का सपना देखने वाली महिला का ओवरी रिजर्व कम है, तो डोनर एग प्राप्त करना ही बच्चा पैदा करने का एकमात्र विकल्प है।
अच्छी बात है कि सरकार ने अपने पिछले फैसले पर पुनर्विचार किया है और इसे अनुमति दी है।’
पुराने कानून में था पेंच
पुराने कानून में सरोगेट मां की सहमति और सरोगेसी के लिए समझौता की बात थी। इसमें पति के शुक्राणु द्वारा डोनर ओओसाइट्स के निषेचन को अनिवार्य किया गया था।
इसके खिलाफ कई महिलाएं सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थीं। इनमें से अधिकांश को कोर्ट में इस प्रावधान से छूट मिली।
ऐसी ज्यादातर महिलाएं चिकित्सीय स्थितियों के कारण अंडे का उत्पादन करने में असमर्थ थीं। इसी के बाद सरकार के रूख में बदलाव आया और इससे संबंधित कानून में संशोधन किया गया है।
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