धनबाद। झारखंड की राजनीति में इन दिनों एक न्यूकमर की ही चर्चा है। खास कर धनबाद लोकसभा क्षेत्र में। आज हर कोई जानना चाहता है कि अनुपमा सिंह कौन हैं।
क्या वह बाहुबली विधायक ढुल्लू महतो को धनबाद में पछाड़ सकेंगी। कई तरह के सवाल आम लोगों के बीच और सियासी गलियारे में, हर जगह तैर रहे हैं।
बताते चलें कि जब चंपाई सोरेन के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद ‘इंडिया’अलायंस के अधिकांश विधायकों को विशेष विमान से झारखंड से बाहर भेज दिया गया था। तब इसी दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘न्याय यात्रा’ झारखंड पहुंची थी।
न्याय यात्रा के दौरान बोकारो-धनबाद में एक घरेलू महिला राहुल गांधी के साथ दिखीं। सब चौंके कि यह कौन हैं। फिर पता चला यह महिला बेरमो से कांग्रेस विधाय़क अनुप सिंह उर्फ कुमार जयमंगल सिंह की पत्नी हैं।
बोकारो-धनबाद क्षेत्र में ‘न्याय यात्रा’ को सफल बनाने के लिए अपने पति की अनुपस्थिति में अनुपमा सिंह ने कमान संभाला था। राहुल गांधी की यात्रा के दौरान अनुपमा सिंह लगातार उनके साथ रहीं। बोकारो और धनबाद जिले के जिन क्षेत्रों से राहुल गांधी की न्याय यात्रा गुजरी, उस दौरान अनुपमा सिंह राहुल गांधी के साथ रहीं।
हालांकि इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ कांग्रेस प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष भी मौजूद थे, लेकिन वो दोनों राहुल गांधी के पीछे खड़े नजर आते थे, आगे में अनुपमा सिंह ही रहीं। इस यात्रा के बाद से ही चर्चा तेज हो गई थी कि इस बार के लोकसभा चुनाव में वो चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुटी हैं।
अब कांग्रेस की ओर से अनुपमा सिंह को धनबाद संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाने का ऐलान भी कर दिया है। धनबाद लोकसभा सीट की कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह को राजनीति विरासत में मिली है।
झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक परिवारों में से एक राजेंद्र प्रसाद सिंह की बड़ी बहू बनकर आने के साथ ही वो सियासत को समझने लगी थीं। करीब 10 साल पहले शादी के बाद कई मौकों पर अपनी सासु मां के साथ अनुपमा सिंह को अपने ससुर के चुनाव प्रचार में भी शामिल होने का मौका मिला।
वर्ष 2020 में राजेंद्र प्रसाद सिंह के निधन के बाद उपचुनाव में अनुपमा सिंह ने अपने पति के लिए भी चुनाव प्रचार में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
अनुपमा सिंह की न सिर्फ अच्छी उच्च शिक्षा हासिल की, बल्कि समाज में महिलाओं के दुःख-दर्द को समझने का भी प्रयास किया। राजेंद्र प्रसाद सिंह जब विधायक थे, उस दौरान भी क्षेत्र की महिलाएं सीधे अनुपमा सिंह के पास आकर अपनी समस्याएं बताती थीं।
बाद में पति विधायक बने, तो क्षेत्र के लोगों से उनका मिलना-जुलना और परेशानियों को समझ कर समस्या का समाधान करना दिनचर्या में शामिल हो गया। कई मौकों पर कार्यक्रमों और जनसभा के लिए भीड़ जुटाने में भी अनुपमा सिंह को महारत हासिल है।
विधायक कुमार जयमंगल सिंह कई अवसरों पर अपने विधानसभा क्षेत्र बेरमो से बाहर रहते हैं। रांची और दिल्ली में उनके व्यस्त रहने के दौरान अनुपमा सिंह ही क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को सुनती हैं,उनके समाधान के लिए अपने स्तर से अधिकारियों से बात भी करती हैं।
इसके अलावा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए लगातार उनके साथ संवाद भी कायम रखती हैं।
धनबाद लोकसभा सीट अनुपमा सिंह के साथ ही उनके देवर गौरव सिंह भी ने दावेदारी पेश की थी। गौरव सिंह झारखंड में युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
फिलहाल गौरव सिंह झारखंड युवा आयोग के अध्यक्ष हैं। प्रारंभ में कांग्रेस नेतृत्व के पास सिर्फ गौरव सिंह ने ही अपनी दावेदारी पेश की थी। लेकिन अचानक उनकी भाभी अनुपमा सिंह का नाम तेजी से आगे बढ़ा और वो अपने देवर को झटका देने में सफल रहीं।
कुमार जयमंगल सिंह के अनुसार प्रारंभ में पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें धनबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की सलाह दी गई थी।
लेकिन उन्होंने पार्टी के आला नेताओं को यह साफ कह दिया था कि अभी वे बेरमो के विधायक हैं, इस सीट से उनके पिता राजेंद्र प्रसाद सिंह कई बार विधायक रहे। वे अपने पिता की विरासत वाली बेरमो सीट को छोड़कर दूसरी ओर जाना नहीं चाहते है। इसलिए उनकी पत्नी अनुपमा सिंह के नाम पर विचार शुरू हुआ।
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