कांग्रेस+ को ओवरकॉन्फिडेंस ले डूबा
मुंबई, एजेंसियां। 6 बड़ी पार्टियां और तकरीबन इतने ही छोटे दल। इनमें से महाराष्ट्र की जनता ने BJP, शिवसेना (शिंदे गुट) और NCP (अजित पवार) की तिकड़ी को चुना और विधानसभा चुनाव में महायुति को बहुमत दिया।
तीनों पार्टियों ने 230 सीटों पर जीत हासिल की है। इस मैंडेट ने साफ कर दिया है कि कौन असली और कौन नकली शिवसेना है? और चाचा-भतीजे में बड़ा कौन है?
52 साल बाद हुआ ऐसाः
1972 के बाद ये पहला मौका है, जब किसी अलायंस को इतना बड़ा मैंडेट मिला है। चुनाव से 4 महीने पहले शुरू की गई महायुति सरकार की ‘लाडकी बहिन योजना‘ गेम चेंजर बनी। इस चुनाव में BJP के माइक्रोमैनेजमेंट ने कामयाबी दिलाई।
इस बार BJP को संघ के एक्टिव होने का भी फायदा मिला। RSS ने लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में तकरीबन 2000 से ज्यादा नुक्कड़ सभाएं कीं। कार्यकर्ता घर-घर जाकर वोटर्स को बूथ पर लाने में सफल रहे।
यूपी के CM योगी आदित्यनाथ का चुनावी रैलियों में ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे ने हिंदू वोटर को एकजुट किया। महाराष्ट्र में योगी का स्ट्राइक रेट 100% रहा।
पांची गारंटी का वादा फेलः
इधर, महाविकास अघाड़ी (MVA) ने चुनाव से ठीक पहले पांच गारंटी देने की बात की थी, लेकिन वो ये गारंटियां जनता तक पहुंचाने में नाकाम रही। MVA 50 से भी कम सीटों पर सिमटकर रह गई।
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