रांची। क्या आप जानते हैं भगवान शिव की पांच पुत्रियों के बारे में? नहीं जानते! आइए हम बताते हैं कि कैसा हुआ उनका जन्म। क्या हैं इनके नाम और काम? इनके बारे में कम लोगों को जानकारी है। बिना जानकारी के ही वे हमारे जीवन में शामिल हैं।
सावन में लोग उनकी पूजा भी करते हैं। मधुश्रावणी की कथा में शिव की पुत्रियों का जिक्र आता है। शिव पुराण में भी एक पुत्री का जिक्र है। दिलचस्प बात यह है कि उनका जन्म भी एक तरह से अनजाने में ही हो गया।
यह तो सभी जानते हैं कि सावन शिव परिवार को समर्पित होता है। शिव ही इस माह के अधिष्ठाता देव हैं। उसके हर दिन का विशेष महत्व होता है।
शिव की पांच पुत्रियों के जन्म की कथा
अधिकतर लोग शिव की दो संतान के बारे में ही जानते हैं। वे हैं कार्तिकेय व गणेश। सच इससे अलग है। शिव की सात संतान हैं। उनका जन्म सरोवर में हुआ।
उस समय भगवान शिव व माता पार्वती जलक्रीड़ा कर रहे थे। तभी भगवान का वीर्य स्खलन हो गया। उसे उन्होंने पत्ते पर रखा दिया। उस वीर्य से पांच कन्याओं का जन्म हुआ। वे मनुष्य के बदले नाग रूप की थीं। माता को इसकी जानकारी नहीं हो सकी।
भोलेनाथ ही इसे जानते थे। वे उनसे संतान की तरह ही प्रेम करते थे। वे रोज रोज सरोवर जाते और कन्याओं के साथ समय बिताते थे। काफी समय तक यह क्रम चला। माता को शक हुआ कि रोज शिव कहां चले जाते हैं।
माता पार्वती को बाद में हुई जानकारी
एक दिन पार्वती ने उनका पीछा किया। वे सरोवर पहुंचीं तो देखा कि शिव उनके साथ खेल रहे हैं। यह देखा उन्हें क्रोध आ गया। वे पांचों को मारने ही वाली थीं कि शिव ने उन्हें रोका। फिर उनके जन्म की कथा बताई। कहा कि ये हम दोनों की पुत्रियां हैं।
यह सुन माता प्रसन्न हुईं। शिव की पांच पुत्रियों के नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और अलुपी हैं। अलूपी का जिक्र महाभारत में भी आया है। उनसे अर्जुन ने विवाह किया था। उनसे एक पुत्र अरावन का जन्म हुआ। उनका मंदिर दक्षिण भारत में है। उन्हें किन्नर अपना पति मानते हैं।
सावन में पूजा करने पर मिलता है फल
भगवान शिव की पांच पुत्रियों की पूजा का बड़ा फल है। खुद महादेव ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि जो सावन शुक्ल पंचमी में इन नाग कन्याओं की पूजा करेगा, उसके परिवार में सर्पदंश का भय नहीं रहेगा।
उस पर इन देवियों की कृपा रहेगी। उसके घर कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहेगी। यही कारण है कि सावन शुक्ल व कृष्ण पक्ष की पंचमी को लोग नाग कन्याओं की पूजा करते हैं। कुछ इलाकों में तो बहुत धूमधाम से उनकी पूजा की जाती है।
हालांकि अधिकतर लोग पांच कन्याओं के बारे में नहीं जानते हैं। इसलिए सिर्फ विषहर की पूजा करते हैं। उन्हें विषहरी देवी भी कहा जाता है।
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