Digital platforms :
नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्र सरकार ने भारत के पारंपरिक एड्रेसिंग प्रणाली को आधुनिक और सटीक बनाने के लिए दो डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं – ‘Know Your DIGIPIN’ और ‘Know Your PIN Code’। यह National Geospatial Policy 2022 के तहत देश के जियोस्पेशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और डिजिटल गवर्नेंस को और सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।
इस सिस्टम को डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स तैयार कर रहा है और प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में इसे जल्द ही आम जनता से सुझाव लिए जाएंगे। सरकार इस योजना को सशक्त बनाने के लिए संसद में एक कानून भी पेश कर सकती है, ताकि एक विशेष प्राधिकरण बनाया जा सके जो डिजिटल एड्रेस सिस्टम की निगरानी करेगा।
Digital platforms :डिजिटल इंडिया मिशन के तहत है यह कार्यक्रमः
यह पहल डिजिटल इंडिया मिशन के तहत भारत को एक पूर्णत: डिजिटल समाज में परिवर्तित करने की एक और महत्वपूर्ण कड़ी होगी। जिस तरह से आधार कार्ड ने हर भारतीय को एक विशिष्ट पहचान प्रदान की और यूपीआई ने डिजिटल लेन देन को आमजन तक पहुंचाया, उसी तरह यह नई योजना लोगों के भौतिक पते को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकती है।
बता दें कि डिजिटल एड्रेस आईडी एक ऐसी यूनिक पहचान संख्या होगी, जो किसी व्यक्ति या संस्थान के स्थायी पते से लिंक होगी। यह न केवल व्यक्ति की पहचान का हिस्सा बनेगा, बल्कि सरकारी सेवाओं, डिलीवरी, ई-केवाईसी, आपदा प्रबंधन और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में भी उपयोगी होगा। इस डिजिटल एड्रेस सिस्टम से पते की सटीकता बढ़ेगी। किसी भी स्थान की पहचान अब केवल लिखित पते तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वह एक यूनिक डिजिटल कोड के रूप में मान्यता पाएगी।
Digital platforms : कई तरह की समस्याएं होंगी कमः
इससे सरकारी सेवाओं में तेजी आएगी जैसे राशन डिलीवरी, डाक सेवा, आपातकालीन सेवाएं। भ्रम और गलत पते की समस्याएं खत्म होंगी। डिजिटल मैपिंग, ई-कॉमर्स डिलीवरी और लोकेशन आधारित सेवाएं अधिक प्रभावी होंगी।
Digital platforms : सटिक पता बतायेगाः
सरकार इस नई प्रणाली को भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर मैट्रिक्स के अंतर्गत विकसित करने की योजना बना रही है। यानी यह नया डिजिटल एड्रेस सिस्टम आधार, डिजिलॉकर, यूपीआई जैसे मौजूदा डिजिटल ढांचे से जुड़ेगा, जिससे यह तकनीकी रूप से मजबूत और स्केलेबल हो सके।
सरकार का मानना है कि आज भी देश में ऐसा कोई सिस्टम नहीं हैस जिससे किसी व्यक्ति के पते को सटीकता से डिजिटल रूप में देखा या साझा किया जा सके। अक्सर हम पते में कोई लैंडमार्क जोड़ देते हैं। लेकिन, वो लैंडमार्क हर किसी को न पता हो तो लोकेशन ढूंढने में मुश्किल होती है। इसी कारण डिलिवरी लेट होती है। सरकारी डॉक्यूमेंट्स पहुंचने में समय लगता है और कूरियर या फूड सर्विस में दिक्कत आती है।
Digital platforms :हर साल लगभग 10 से 14 बिलियन रुपए का नुकसानः
एक रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के पते की उलझनों से देश को हर साल लगभग 10 से 14 बिलियन रुपए का नुकसान होता है। जो जीडीपी का करीब 0.5% है। इसी को सुधारने के लिए सरकार अब डिजिटल एड्रेस आईडी की योजना बना रही है।
Digital platforms : हर व्यक्ति का होगा एक नंबर, जो बतायेगा पताः
डिजिटल एड्रेस सिस्टम के तहत हर व्यक्ति या जगह का एक यूनिक डिजिटल एड्रेस आईडी होगा। जिसे आप अपनी मर्जी से किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म को दे सकेंगे। ये आईडी पूरी तरह से सुरक्षित होगी और बिना आपकी इजाजत के कोई भी इस पते को एक्सेस नहीं कर पाएगा। इसका फायदा ये होगा कि कोई भी ऑनलाइन ऑर्डर, दस्तावेज या सेवा बिल्कुल सही लोकेशन पर समय पर पहुंचेगी।
Digital platforms :निजी कंपनियों की मनमानी पर भी लगेगी रोकः
सरकार इस बार डेटा शेयरिंग को लेकर भी सतर्क है। कई कंपनियां यूजर्स का एड्रेस बिना इजाजत के थर्ड पार्टी को दे देती हैं। जिससे यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में पड़ती है। नए डिजिटल एड्रेस सिस्टम में इस तरह की मनमानी पर रोक लगेगी।
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