Nitish kumar:
पटना, एजेंसियां। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दांव चलते हुए सवर्ण आयोग को सक्रिय कर दिया है। आयोग में नए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और मेंबर की नियुक्ति कर दी गई हैदो दिन पहले आयोग की बैठक भी हो गई। इसमें सवर्ण समाज में आने वाली जातियों के हालात पर चिंता व्यक्त की गई। नीतीश कुमार को इस बात की चिंता थी कि कहीं पिछड़ा-अति पिछड़ा जाती को साधने में सवर्ण समुदाय छिटक न जाए।
ऐसे में नीतीश ने उसे साधने के लिए यह कदम उठाया है। स्वर्ण समुदाय जो भाजपा की कही जाती है, उसमें राजपूत और भूमिहार जैसी जातियां अकसर छिटकती रही हैं। हालांकि कायस्थ और ब्राह्मण भाजपा के पक्ष में एकजुट नजर आए हैं। ऐसे में एनडीए के फेवर में सवर्णों की पूरी गोलबंदी हो, इसके लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। इसकी ही कड़ी सवर्ण आयोग है। अब आने वाले दिनों में आयोग कुछ सिफारिशें भी कर सकता है।
Nitish kumar: ये हो सकती हैं सिफारिशेः
सिफारिशों में गरीब सवर्ण परिवारों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में आयु सीमा में छूट दी जाने की सिफारिश शामिल हो सकती है। इसके अलावा पीसीएस, यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग की सिफारिश हो सकती है। आयोग की तरफ से गरीब सवर्णों के बच्चों को हॉस्टल की सुविधा देने की सिफारिश भी की जा सकती है।
सवर्ण आयोग का कहना है कि, इसका गठन भले ही साल 2011 में हुआ था, लेकिन यह अब ज्यादा करगार होगा। आयोग के सदस्यों का कहना है कि अब उन लोगों के पास जातीय जनगणना का डेटा है। ऐसे में अब वह जानते है कि कितने स्वर्ण परिवार गरीब है और इसका कारण क्या हैं। क्या लाभ देकर उन्हें आगे बढ़ाया जा सकता हैं।
Nitish kumar:राज्य में 15 फीसदी सवर्णः
दरअसल बिहार में कायस्थ, ब्राह्मण, राजपूत और भूमिहार कारेब 15 फीसदी हैं। यह आंकड़ा बड़ा नहीं है लेकिन यदि एकमुश्त वोट किसी दल को मिलता है, तो नतीजे पलटने का दम रखते हैं। खासकर मिथिलांचल में ब्राह्मणों की अच्छी तादाद है। इसके अलावा भूमिहार कई जिलों में मजबूत हैं।
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