कोर्ट ने कहा, दोषि में सुधार की कोई संभावना नहीं
मुंबई, एजेंसियां। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोल्हापुर के सुनील कुचकोरवी की मौत की सजा को बरकरार रखते हुए इसे नरभक्षण का मामला करार दिया है। कुचकोरवी पर अपनी मां की जघन्य हत्या करने और उसके अंग खाने का आरोप था।
2017 में कोल्हापुर की जिला अदालत ने कुचकोरवी को इस अपराध के लिए दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील की थी।
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि यह अपराध “दुर्लभतम में से दुर्लभतम” है, जिसमें दोषी के सुधार की कोई संभावना नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि दोषी ने न केवल अपनी 63 वर्षीय मां यल्लामा रामा कुचकोरवी की हत्या की, बल्कि उसके अंगों को पकाकर खाया भी था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कुचकोरवी की मां ने शराब खरीदने के लिए पैसे देने से इनकार किया था, जिसके बाद उसने यह नृशंस अपराध किया।
पुलिस ने उसे तब पकड़ा, जब वह मां की लाश से दिल निकालकर पकाने की तैयारी कर रहा था।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोषी की प्रवृत्तियों को देखते हुए उसमें सुधार की कोई संभावना नहीं है।
अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उसकी सजा कम कर आजीवन कारावास में तब्दील की जाती है, तो वह जेल में भी इसी तरह के अपराध कर सकता है।
वर्तमान में कुचकोरवी पुणे की यरवदा जेल में बंद है और उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश किया गया था।
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