Bureaucracy:
भारत में प्रशासनिक संरचना में प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव दोनों ही उच्च पद होते हैं, लेकिन इन दोनों की जिम्मेदारियां और प्रभाव क्षेत्र अलग-अलग होते हैं। आइए जानते हैं कि प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव के बीच क्या अंतर है और इनकी सैलरी कितनी होती है।
Bureaucracy: प्रमुख सचिव का काम क्या होता है?
प्रमुख सचिव, जो एक वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी होते हैं, प्रधानमंत्री का सबसे करीबी और भरोसेमंद प्रशासनिक अधिकारी होता है। यह पद केंद्रीय सरकार के तहत कार्य करता है और विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करता है।
प्रमुख सचिव नीति निर्माण से लेकर उसके क्रियान्वयन तक अहम भूमिका निभाते हैं। यह पद कैबिनेट मंत्री के समकक्ष माना जाता है, और यह प्रधानमंत्री को नीतियों पर सलाह भी देता है। वह देश के विभिन्न मामलों में केंद्रीय स्तर पर कार्य करने वाले अधिकारियों को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
Bureaucracy: मुख्य सचिव की भूमिका क्या होती है?
मुख्य सचिव राज्य सरकार में सबसे वरिष्ठ और ताकतवर अधिकारी होता है। वह राज्य की पूरी नौकरशाही का नेतृत्व करता है और सभी विभागों के सचिव उसके अधीन होते हैं। मुख्य सचिव राज्य सरकार की नीतियों की निगरानी करता है और यह सुनिश्चित करता है कि वे ठीक से लागू हो रही हैं।
मुख्य सचिव मुख्यमंत्री का प्रमुख सलाहकार होता है, और राज्य के प्रशासनिक मामलों में उसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। राज्य स्तर पर यह सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है, जो पूरे राज्य की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखता है।
Bureaucracy: कौन अधिक प्रभावशाली है?
ताकत और प्रभाव की दृष्टि से, प्रमुख सचिव को अधिक शक्तिशाली माना जाता है। यह केंद्रीय सरकार के तहत काम करता है और प्रधानमंत्री के साथ सीधे जुड़ा होता है, जबकि मुख्य सचिव राज्य सरकार के तहत कार्य करता है। हालांकि, राज्य स्तर पर मुख्य सचिव का प्रभाव ज्यादा होता है, लेकिन उसका प्रभाव केंद्र के मुकाबले सीमित होता है।
Bureaucracy: सैलरी और सुविधाएं
प्रमुख सचिव की सैलरी: प्रमुख सचिव को लगभग ₹2.50 लाख प्रति माह सैलरी मिलती है। इसके अलावा उन्हें सरकारी आवास, गाड़ी, स्टाफ और अन्य कई सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं।
मुख्य सचिव की सैलरी: मुख्य सचिव को ₹2.25 लाख प्रति माह सैलरी मिलती है। उन्हें भी प्रमुख सचिव की तरह सरकारी आवास, गाड़ी, स्टाफ, और अन्य लाभ मिलते हैं।
दोनों ही पद उच्च प्रशासनिक पद होते हैं, और इनकी जिम्मेदारियां देश और राज्य के प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने में अहम भूमिका निभाती हैं।
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