देवघर। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की मांग ने भूचाल ला दिया है। उन्होंने संथाल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग कर दी है। उन्होंने लोकसभा में झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इन्हें अलग करके ही परिसीमन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद से प्रदेश में मुस्लिम आबादी में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि आदिवासियों की संख्या में 17 प्रतिशत की कमी आई है। निशिकांत के अनुसार, वर्तमान जनसंख्या के आधार पर परिसीमन होने से आदिवासियों की आरक्षित सीटें कम हो सकती हैं।
संथाल परगना के लिए अलग राज्य बनाने की मांगः
झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों में से पांच सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। सांसद दुबे ने शून्यकाल के दौरान सरकार से आग्रह किया कि झारखंड के संथाल परगना को अलग राज्य बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यह केवल हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा नहीं है, बल्कि आदिवासी हित का भी है। जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार को झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार करना चाहिए।
सांसद ने दिया ये तर्कः, गिनाये आंकड़े
झारखंड के संथाल परगना और जामताड़ा जिले में आदिवासियों की घट रही संख्या पर भाजपा सांसद ने तर्क देते हुए कहा कि 1951 संथाल परगना में आदिवासियों की जनसंख्या 45 प्रतिशत थी जो 2011 की जनगणना में 28 प्रतिशत हो गई।
मुस्लिम जनसंख्या में बढ़ोतरी!
भाजपा सासंद निशिकांत दुबे ने कहा, “दूसरी ओर मुस्लिमों की जो संख्या नौ फीसद थी और वह अब 24 प्रतिशत हो गई है। यह फर्क बड़ी संख्या में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के कारण हुआ है। परिसीमन में इसका ध्यान रखना चाहिए।”
बताते चलें कि हाल के झारखंड चुनाव मे भी भाजपा ने घुसपैठ को बड़ा मुद्दा बनाया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी कहा था कि परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होता है। डीएमके की विपक्षी बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री भी शामिल होते हैं, लेकिन क्या उन्हें इसकी चिंता है?
1973 के परिसीमन के दौरान कई राज्यों को छोड़ दिया गयाः
निशिकांत ने कहा कि 1973 में परिसीमन के दौरान राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ही सीटें बढ़ी थीं, जहां कांग्रेस की सरकारें थीं। कई राज्यों को छोड़ दिया गया था।
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