झारखंड आंदोलन झारखंड के लोगों की संघर्षशीलता, उनकी साहसिकता और अदम्य इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
इस आंदोलन के प्रमुख नायकों ने अपनी निस्वार्थ सेवा और संघर्ष से झारखंड को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। [झारखंड आंदोलन के प्रमुख नायक]
बिरसा मुंडा: उलगुलान का महानायक
बिरसा मुंडा झारखंड आंदोलन के सबसे प्रमुख और महानायक थे। उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को उलिहातु गाँव में हुआ था। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासी समुदाय के हक और अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने ‘उलगुलान’ (विद्रोह) का नेतृत्व किया और आदिवासी समुदाय को संगठित किया।
बिरसा मुंडा के प्रमुख योगदान:
- आदिवासी जागरूकता: बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया और उन्हें संगठित किया।
- ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष: उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया और आदिवासी समाज को उनके शोषण से मुक्त कराने का प्रयास किया।
- धार्मिक और सामाजिक सुधार: बिरसा मुंडा ने धार्मिक और सामाजिक सुधार किए और आदिवासी समुदाय को नई दिशा दी।
सिदो और कान्हू: संथाल हूल के वीर योद्धा
संथाल हूल झारखंड के आदिवासी समाज का एक और महत्वपूर्ण विद्रोह था। इस विद्रोह का नेतृत्व सिदो और कान्हू मुर्मू ने किया। सिदो और कान्हू ने संथाल आदिवासियों को संगठित किया और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का आह्वान किया।
सिदो और कान्हू के प्रमुख योगदान:
- संथाल हूल का नेतृत्व: सिदो और कान्हू ने 1855-56 में संथाल हूल का नेतृत्व किया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- आदिवासी एकता: उन्होंने संथाल आदिवासियों को संगठित किया और उनके हक के लिए लड़ाई लड़ी।
- बलिदान: सिदो और कान्हू ने अपने प्राणों की आहुति दी लेकिन आदिवासी समाज के हक के लिए संघर्ष नहीं छोड़ा।
जयपाल सिंह मुंडा: झारखंड पार्टी के संस्थापक
जयपाल सिंह मुंडा झारखंड आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। उनका जन्म 3 जनवरी 1903 को हुआ था। जयपाल सिंह मुंडा एक महान खिलाड़ी और राजनेता थे जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने झारखंड पार्टी की स्थापना की और झारखंड राज्य की मांग को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया।
जयपाल सिंह मुंडा के प्रमुख योगदान:
- झारखंड पार्टी की स्थापना: जयपाल सिंह मुंडा ने 1949 में झारखंड पार्टी की स्थापना की और झारखंड राज्य की मांग को संगठित तरीके से उठाया।
- राजनीतिक नेतृत्व: उन्होंने झारखंड आंदोलन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
- आदिवासी अधिकार: जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया और उनकी आवाज को बुलंद किया।
शिबू सोरेन: झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता
शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन के एक और प्रमुख नायक हैं। उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को हुआ था। शिबू सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की और झारखंड राज्य की मांग को लेकर लंबे समय तक संघर्ष किया।
शिबू सोरेन के प्रमुख योगदान:
- झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना: शिबू सोरेन ने 1972 में JMM की स्थापना की और झारखंड आंदोलन को एक नई दिशा दी।
- राजनीतिक संघर्ष: उन्होंने झारखंड राज्य की मांग को लेकर राजनीतिक संघर्ष किया और इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाया।
- आदिवासी अधिकार: शिबू सोरेन ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष किया और उनकी आवाज को संसद तक पहुँचाया।
अन्य प्रमुख नायक
झारखंड आंदोलन में कई अन्य नेताओं और संगठनों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें से कुछ प्रमुख नायक इस प्रकार हैं:
कार्तिक उराँव: वे एक प्रमुख आदिवासी नेता थे जिन्होंने आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और झारखंड आंदोलन को समर्थन दिया।
बाबूलाल मरांडी: बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने। उन्होंने भी झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और राज्य के विकास के लिए काम किया।
हेमंत सोरेन: शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन ने भी झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया और वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं।
झारखंड आंदोलन के प्रमुख संगठन
झारखंड आंदोलन में विभिन्न संगठनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन संगठनों ने झारखंड राज्य की मांग को लेकर विभिन्न स्तरों पर संघर्ष किया और आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए काम किया।
ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU): इस संगठन की स्थापना 1980 में हुई। AJSU ने झारखंड के युवा वर्ग को संगठित किया और बड़े पैमाने पर आंदोलन किए।
झारखंड क्षेत्रीय विकास परिषद: 1995 में बिहार सरकार ने इस परिषद की स्थापना की। यह परिषद झारखंड क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करने के उद्देश्य से बनाई गई थी।
झारखंड आंदोलन के प्रमुख घटनाएँ
झारखंड आंदोलन की कहानी में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ शामिल हैं जिन्होंने इस आंदोलन को एक नई दिशा दी।
संथाल हूल (1855-56): संथाल आदिवासियों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह। सिदो और कान्हू ने इसका नेतृत्व किया।
बिरसा मुंडा का आंदोलन (1895-1900): बिरसा मुंडा द्वारा ‘उलगुलान’ का नेतृत्व। आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष।
झारखंड पार्टी (1949): जयपाल सिंह मुंडा द्वारा झारखंड पार्टी की स्थापना और झारखंड राज्य की मांग।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (1972): शिबू सोरेन द्वारा JMM की स्थापना और झारखंड आंदोलन को नई दिशा देना।
15 नवंबर 2000: झारखंड को एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला। यह दिन झारखंड के लोगों के लिए ऐतिहासिक और गर्व का दिन था।