रांची। झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने वोट बैंक मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है।
दिलचस्प यह है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव पार्टियों के लिए एक तरह का ‘प्रीलिम्स’ साबित हुए हैं।
सभी दल जानते हैं कि किस क्षेत्र में कितनी ताकत झोंकनी है और किस ओर में रणनीति को धार देनी है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी झारखंड के 14 में से सात सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इसमें दो सीटें एसटी के लिए आरक्षित थीं। वहीं पांच सीटें अनारक्षित थीं।
चुनाव में कांग्रेस दोनों एसटी सीटें तो जीत गई, लेकिन पांचों अनारक्षित सीटों पर पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा।
यह लगातार तीसरी बार था, जब कांग्रेस लोकसभा चुनाव में झारखंड की एक भी जनरल सीट नहीं जीत पाई। हालांकि इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत जरूर बढ़ा है।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 15.8 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं इस बार के चुनाव में पार्टी का वोट शेयर 15.8 से बढ़कर 19.5 प्रतिशत हो गया।
अब बात करते हैं विधानसभा चुनाव की। तो झारखंड में कांग्रेस इस बार ओबीसी वोटरों को रिझाने का पूरा प्रयास कर रही है, खासकर कुड़मी वोटरों को।
पार्टी ने हाल ही में राजेश ठाकुर को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर केशव महतो कमलेश को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
राजेश ठाकुर सवर्ण समाज से आते हैं, वहीं केशव महतो कुड़मी ओबीसी समाज से आते हैं। कांग्रेस केशव महतो कमलेश के जरिए कुड़मी और ओबीसी वोटरों तक पहुंचना चाहती है।
इसके लिए खास रणनीति बनाई जा रही है। प्रदेश कांग्रेस की विस्तारित कार्यकारिणी ने शनिवार को बैठक की। बैठक में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय गठन का प्रस्ताव पास किया गया।
इसमें कहा गया है कि पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल जल्दी ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलेगा और उनसे पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय के गठन की मांग करेगा, ताकि ओबीसी का आर्थिक और सामाजिक विकास तेजी से हो सके।
इस वर्ग की समस्याओं का भी मंत्रालय के माध्यम से समाधान हो सकेगा। पार्टी का प्रयास है कि आदर्श आचार संहिता लगने से पहले सीएम इस पर अमल कर दें।
कांग्रेस का मानना है कि आदिवासी समुदाय पूरी तरह से गठबंधन के साथ है, जो लोकसभा चुनाव के परिणाम में दिखा भी।
अल्पसंख्यक समुदाय भी गठबंधन के साथ मजबूती से खड़ा है। अगर ओबीसी समुदाय का भी साथ मिल गया, तो विधानसभा चुनाव में भाजपा की वापसी असंभव हो जाएगी।
इसी वजह से पार्टी ओबीसी समुदाय को पूरी तरह से अपने पाले में करने की योजना पर काम कर रही है।
बता दें कि झारखंड में ओबीसी की आबादी करीबन 46 प्रतिशत है। यही कारण है कि हर पार्टी की नजर इस समूह पर होती है।
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