रांची। झारखंड ऐसा राज्य है, जहां अब तक किसी भी ऑर्गन के ट्रांसप्लांट की व्यवस्था नहीं है। इसके कारण यहां ऑर्गन डोनेशन का अनुपात भी दूसरे राज्यों की तुलना में कम है।
कॉर्निया ट्रांसप्लांट को छोड़कर झारखंड के सिर्फ मेदांता अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में भी ट्रांसप्लांट शुरू नहीं हो सका।
जानकारी के अनुसार, झारखंड में ट्रांसप्लांट शुरू करने की दिशा में स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन आर्गेनाइजेशन की ओर से रिम्स को मरीजों को ब्रेन डेड घोषित करने की अनुमति मिल चुकी है।
रिम्स में इसके बाद चिकित्सा अधीक्षक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी भी बनी। परंतु एक साल बाद भी रिम्स में किसी रोगी को मौत के बाद ब्रेन डेड घोषित नहीं किया गया।
जबकि यहां हर महीने करीब 1000 से ज्यादा ऐसे रोगियों की मौत होती है, जिन्हें ब्रेन डेड घोषित किया जा सकता है।
रिम्स क्रिटिकल केयर के हेड डॉ. प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि झारखंड में ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन को इस्तेमाल में लाया जाए, तो इससे न सिर्फ झारखंड बल्कि दूसरे राज्यों को भी ऑर्गन भेजे जा सकते हैं।
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