Chaibasa Illegal Mining:
चाईबासा। चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम)। झारखंड में बालू घाटों पर सरकार की अस्पष्ट नीति और प्रशासन की ढिलाई अब गंभीर सामाजिक टकराव का रूप ले रही है। पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोइलकेरा में बालू माफियाओं के दो गुट — ट्रैक्टर और डंपर संचालकों के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ गई है। मंगलवार (4 नवंबर 2025) की रात ट्रैक्टर मालिकों ने गोइलकेरा–मनोहरपुर मार्ग (NH-320D) पर डंपरों को रोक दिया, जिससे दोनों पक्षों में तनाव बढ़ गया।
ट्रैक्टर संचालकों का आरोप:
ट्रैक्टर संचालकों का आरोप है कि प्रशासन केवल ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, जबकि डंपरों से होने वाली बालू ढुलाई पर कोई रोक नहीं है। उनका कहना है कि अगर बालू परिवहन की अनुमति दी गई है, तो ट्रैक्टरों को भी समान अधिकार मिलने चाहिए। नाराज ट्रैक्टर संचालकों ने इस मामले की शिकायत झामुमो विधायक जगत माझी से की है।
अवैध खनन चरम पर:
बालू घाटों का टेंडर न होने से अवैध खनन चरम पर गोइलकेरा के भरडीहा, पोकाम, दलकी, रायम और माराश्रम इलाकों में कोयल नदी से बड़े पैमाने पर बालू का खनन जारी है। इन इलाकों से पश्चिमी सिंहभूम जिले के आधे हिस्से को बालू की सप्लाई होती है। लेकिन 2019 से अब तक इन घाटों का टेंडर नहीं हुआ है, जिसके चलते हेमंत सोरेन सरकार पर बालू खनन को वैधता देने में नाकामी का आरोप लग रहा है। बालू घाटों पर कोई वैधानिक अनुबंध नहीं होने से अवैध खनन और परिवहन को खुली छूट मिल गई है। इस अवैध कारोबार में डंपर और ट्रैक्टर दोनों ही संचालक सक्रिय हैं और अब उनमें वर्चस्व की जंग शुरू हो चुकी है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार:
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बालू के अवैध कारोबार में सत्तारूढ़ दलों के कई कार्यकर्ता और नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। क्षेत्र में रोजगार की कमी और पलायन की समस्या के कारण कई लोग ट्रैक्टर या डंपर खरीदकर इस धंधे में उतर रहे हैं। अब यह धंधा रोजगार का सबसे बड़ा अनौपचारिक जरिया बन चुका है।
लेकिन इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ रहा है हर महीने राजस्व में करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और सरकार की नीतिगत असमंजस ने बालू माफियाओं को बेलगाम बना दिया है, जिससे स्थिति किसी भी समय विस्फोटक रूप ले सकती है।
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