Liquor scam case:
रांची। झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में सोमवार को गुजरात की विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विस एंड कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड के तीन निदेशकों—विक्रम सिंह अभय सिंह ठाकोर, परेश अभय सिंह ठाकोर और महेश शिड़गे—की जमानत याचिकाओं पर अदालत में अहम सुनवाई हुई। तीनों आरोपी इस समय न्यायिक हिरासत में हैं और उन्होंने जमानत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सुनवाई के दौरान ACB ने विस्तृत जवाब दाखिल की
सुनवाई के दौरान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने सभी जमानत याचिकाओं पर अपना विस्तृत जवाब दाखिल किया। वहीं, आरोपी पक्ष की ओर से अधिवक्ता अरविंद सिंह ने प्रतिवाद प्रस्तुत किया। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने विक्रम सिंह और महेश शिड़गे की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख 20 नवंबर तय की, जबकि परेश अभय सिंह ठाकोर की सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
ACB की जांच में क्या आया सामने
ACB की जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने फर्जी बैंक गारंटी जमा कर राज्य में शराब दुकानों पर मैनपावर सप्लाई का ठेका हासिल किया, जिससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ। आरोपियों को कोर्ट से वारंट प्राप्त करने के बाद ACB ने 13 अक्टूबर को अहमदाबाद से गिरफ्तार किया था। इससे पूर्व एजेंसी ने कई बार नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन आरोपी पेश नहीं हुए।
क्या है ममला?
गौरतलब है कि इस घोटाले में ACB की कार्रवाई 20 मई से जारी है। इसमें निलंबित IAS अधिकारी विनय चौबे सहित 12 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हालांकि, 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल न होने के चलते अधिकांश आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
ACB की जांच अभी जारी है और एजेंसी मामले से जुड़े वित्तीय लेन-देन, फर्जी दस्तावेजों और ठेका प्रक्रिया में अनियमितताओं की गहराई से तहकीकात कर रही है।



