IAS Vinay Kumar Choubey:
रांची। निलंबित IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे पिछले कई महीनों से लगातार विवादों में घिरे हुए हैं। उनके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या अब पांच हो चुकी है। यह सभी मामले अलग-अलग जांच एजेंसियों व थानों में दर्ज हुए हैं, और हर केस में गंभीर आपराधिक आरोप शामिल हैं। हालांकि, ये सभी आरोप FIR व जांच पर आधारित हैं, और मामले अभी न्यायिक प्रक्रिया में हैं।
शराब घोटाला (20 मई 2025)
विनय कुमार चौबे के खिलाफ पहला बड़ा आरोप 20 मई 2025 को उजागर हुआ, जब कथित शराब घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई। एसीबी ने रांची थाना कांड संख्या 09/2025 में FIR दर्ज की। आरोप है कि इस अनियमितता से सरकार को लगभग 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस केस में चौबे सहित 11 लोगों की गिरफ्तारी हुई। चौबे को इस मामले में जमानत मिल चुकी है, लेकिन जांच जारी है।
हजारीबाग खासमहाल जमीन घोटाला:
दूसरा मामला हजारीबाग की बहुचर्चित 2.75 एकड़ खासमहाल भूमि से संबंधित है। आरोप है कि 2008–2010 के बीच उपायुक्त रहते हुए चौबे ने अवैध तरीके से 23 निजी व्यक्तियों के नाम जमीन की जमाबंदी करवाई। जांच में यह भी सामने आया कि चौबे ने अपने करीबी कारोबारी विनय सिंह समेत अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर जमीन की खरीद-बिक्री के लिए कथित आपराधिक साजिश की।
वन भूमि रजिस्ट्री मामला:
तीसरा मामला हजारीबाग में दर्ज कांड संख्या 11/2025 से जुड़ा है। इसमें आरोप है कि वर्ष 2010 में वन भूमि के 1 एकड़ क्षेत्र की अवैध रजिस्ट्री करवाई गई। FIR में चौबे, विनय सिंह और उनकी पत्नी नामजद हैं। PE जांच के बाद मामला दर्ज हुआ और यह केस भी गंभीर आर्थिक अपराध की श्रेणी में जांच के अधीन है।
आय से अधिक संपत्ति का मामला:
चौथा केस आय से अधिक संपत्ति से जुड़ा है , जहां ACB ने 24 नवंबर को इस मामले में विनय चौबे, उनकी पत्नी स्वपना संचिता, ससुर-साला, प्रियंका त्रिवेदी और विनय सिंह दंपती समेत कुल सात लोगों पर केस दर्ज किया है। इसी केस को लेकर ACB ने ससुर और साले को मुख्यालय बुलाकर पूछताछ की है। फिलहाल जांच जारी है।
धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश केस:
अब पांचवा मामला धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश से जुड़ा है। यह मामला जगन्नाथपुर थाना में दर्ज हुआ है। शिकायतकर्ता दीपक कुमार का आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2022 में Nexgen Solution नामक कंपनी बनाई थी, जिसमें वे और विनय सिंह डायरेक्टर थे। कंपनी को Mahindra & Mahindra की कैपिटल डीलरशिप मिली और पहले ही वर्ष में करोड़ों रुपये का कारोबार हुआ।इसी दौरान विनय सिंह के माध्यम से उनका परिचय IAS विनय चौबे से हुआ। उन्होंने आगे कहा कि राजस्व देखकर चौबे की नजर कंपनी पर टिक गई।
इसके बाद विनय सिंह के साथ मिलकर उन्होंने पूरे कारोबार में दखल देना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे कंपनी पर कब्जा कर उन्हें बेदखल करने की योजना बनाई। FIR में कहा गया है कि शिकायतकर्ता को कंपनी से बाहर कर के उल्टा उन पर केस कर दिया। फिलहाल सभी मामलों की जांच जारी है और हर दिन नए खुलासे सामने आ रहे हैं।



