Gig workers:
रांची। झारखंड सरकार ने राज्य में गिग वर्कर्स के हितों की रक्षा और उनके सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून प्रस्तावित किया है। इस कानून का मसौदा तैयार कर लिया गया है, जिसमें डिलीवरी बॉय, कैब ड्राइवर और ऐप-आधारित श्रमिकों जैसे गिग वर्कर्स के लिए ‘गिग वर्कर कल्याण बोर्ड’ के गठन का प्रावधान किया गया है। इस बोर्ड में राज्य में काम कर रही ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने वार्षिक टर्नओवर का न्यूनतम 1 प्रतिशत और अधिकतम 2 प्रतिशत अंशदान देना अनिवार्य होगा। अंशदान की राशि का निर्धारण कल्याण बोर्ड द्वारा किया जाएगा।
Gig workers: 10 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना
कानून में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पहले से अपने गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा या अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दे रहा है, तो उसे अंशदान में अधिकतम 50 प्रतिशत की छूट दी जा सकती है। प्लेटफॉर्म द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर 10 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि कोई प्लेटफॉर्म कल्याण बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराता है, तो उस पर 50 हजार रुपये का दंड लगेगा।
Gig workers: समय और दूरी को आधार माना जाएगा
प्रस्तावित कानून में गिग वर्कर्स की मजदूरी तय करने के लिए उनके काम का समय और दूरी को आधार माना जाएगा। मजदूरी में कटौती होने पर प्लेटफॉर्म को इसका कारण स्पष्ट रूप से बताना होगा। साथ ही, सभी वर्कर्स को काम की शर्तों वाला अनुबंध देना आवश्यक होगा, जो सरल भाषा में होना चाहिए। अनुबंध की शर्तों में बदलाव की जानकारी देना, स्वचालित निगरानी प्रणाली से जुड़ी जानकारी साझा करना और तय समय पर भुगतान जैसे नियमों को कानूनी रूप दिया गया है, जिससे गिग वर्कर्स को सुरक्षित और सम्मानजनक काम का माहौल मिल सके।
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