45 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना से कोर्ट नाराज
रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने जमीन के 45 साल पुराने एक मामले में हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जताई है।
अदालत ने कहा कि निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से आदेश मिलने के बाद भी प्रार्थी को लाभ नहीं मिलना बहुत ही दुखद है।
इस कठोर सच्चाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हाईकोर्ट के नए भवन के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में उजागर किया था।
अदालत ने सरकार को कोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा की यदि तीन अप्रैल तक आदेश का पालन नहीं किया गया, तो इस दिन अपराह्न चार बजे राज्य के मुख्य सचिव, भू राजस्व सचिव को संबंधित अधिकारियों को अदालत में सशरीर हाजिर होना होगा।
इस संबंध में गुमला के सुरेंद्र प्रसाद चौधरी ने याचिका दायर की है। एक जमीन पर प्रार्थी के मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा था।
वर्ष 1979 से यह विवाद चल रहा था। इसके बाद निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया।
सभी जगह से प्रार्थी के पक्ष में आदेश आया। अदालत ने सरकार को प्रार्थी के पक्ष में लगान रसीद काटने का निर्देश दिया।
निचली अदालत ने 1980 में, हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 में और सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2021 में प्रार्थी के पक्ष में फैसला दिया।
कोर्ट के फैसले के बाद जब प्रार्थी ने जमीन की रसीद काटने के लिए आवेदन दिया तो उसके आवेदन पर विचार नहीं किया गया और लगान रसीद नहीं काटा गया। इसके बाद प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि इस जमीन पर एक अन्य ने दावा कर दिया है।
जिस कारण निचली अदालत में दूसरा टाइटल सूट लंबित है। इस पर अदालत ने नाराजगी जताई और कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट तक ने वादी का जमीन पर मालिकाना हक ठहराया है तो फिर अधिकारी इस तरह की बात कैसे कह सकते हैं।
सुनवाई के दौरान गुमला के रायडीह के अंचलाधिकारी और बरकट्ठा के प्रखंड विकास पदाधिकारी भी मौजूद थे।
अदालत ने सभी अधिकारियों को प्रार्थी की लगान रसीद काटने का निर्देश दिया और कहा कि यदि रसीद नहीं काटी गई तो अगली तिथि को इन अधिकारियों के साथ मुख्य सचिव और भू राजस्व सचिव को अदालत में हाजिर होना होगा।
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