एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जो शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए आवश्यक होता है। इस स्थिति में शरीर के अंगों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती, जिसके कारण व्यक्ति को थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सांस लेने में दिक्कत, त्वचा का पीला होना और सिर दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। एनीमिया का मुख्य कारण शरीर में आयरन, विटामिन B12, फोलिक एसिड या अन्य पोषक तत्वों की कमी होना है।
झारखंड में आयरन की प्रचुरता होने के बावजूद एनीमिया जैसी गंभीर समस्या का होना वाकई एक चौंकाने वाली स्थिति है। यह समस्या न केवल राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि यह राज्य के विकास में भी एक बड़ी अड़चन उत्पन्न करती है। विशेषकर, महिलाओं और बच्चों में एनीमिया के बढ़ते मामले एक गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं।
देश में झारखंड फिलहाल एक ऐसा राज्य है जहां एनीमिया का केस सबसे ज्यादा बढ़ रहा है। आइए जानते है क्यों इस राज्य में अनीमिया के मामले ज्यादा है…
हैरानी की बात ये है कि झारखंड में आयरन की प्रचुरता होने के बावजूद भी एनीमिया जैसी गंभीर समस्या यहां सबसे ज्यादा है। यह समस्या न केवल राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि यह राज्य के विकास में भी एक बड़ी अड़चन उत्पन्न करती है। विशेषकर, महिलाओं और बच्चों में एनीमिया के बढ़ते मामले एक गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं।
झारखंड के 5 जिलों में शुरू किया गया ‘समर’ अभियान कुपोषण और एनीमिया की समस्या से निपटने के लिए एक सकारात्मक कदम है। डोर-टू-डोर सर्वे और उचित पोषण का वितरण एक ऐसा उपाय है, जो निश्चित रूप से राज्य के लोगों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार ला सकता है। इसके साथ ही, कुपोषण से मुक्त होने वाली पंचायतों को प्रोत्साहन राशि मिलना, इस अभियान की सफलता को सुनिश्चित कर सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में कुपोषण की बड़ी वजह पूरक आहार की कमी है, जो जन्म के छह महीने बाद बच्चों को मिलना चाहिए, लेकिन राज्य में यह केवल 7 प्रतिशत बच्चों तक ही पहुंच पाता है। यह स्थिति समय रहते सुधारने की आवश्यकता है ताकि बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हो सके और उन्हें पर्याप्त पोषण मिल सके।
गर्भवती महिलाओं में भी एनीमिया की समस्या अधिक होती है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आयरन की अधिक आवश्यकता होती है। यदि सही आहार और आयरन सप्लीमेंट्स का सेवन नहीं किया जाए , तो इससे महिलाओं में एनीमिया हो सकता है।
इसके अलावा, एनीमिया के बढ़ते मामलों को लेकर जिन जिलों में स्थिति गंभीर है, जैसे देवघर, दुमका, गढ़वा, और साहिबगंज, वहां विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इन जिलों में एनीमिया के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जो राज्य की स्वास्थ्य नीति को चुनौती देता है। इन कारणों के परिणामस्वरूप झारखंड में एनीमिया के मामलों की संख्या अधिक है। इसके समाधान के लिए, राज्य में उचित पोषण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, और आयरन-युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाने पर जोर देने की आवश्यकता है।
एनीमिया से बचाव के उपाय
हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, गुड़ और चना जैसे आयरन और प्रोटीन से भरपूर आहार से एनीमिया से बचाव किया जा सकता है। गुड़ में आयरन और चना में प्रोटीन पाया जाता है, जो एनीमिया को दूर करने में मददगार होता है। इसके अलावा केला, नाशपाती जैसे फल भी आयरन के अच्छे स्रोत हैं। चना और गुड़ को कभी भी खाया जा सकता है, लेकिन सुबह के नाश्ते में इनका सेवन अधिक प्रभावी होता है। साथ ही नाश्ते में अमरूद, केला या सेब या जो भी सीज़नल फल मिले उसका ही सेवन करें।
कैसे करे एनीमिया का उपचार
अगर किसी व्यक्ति में एनीमिया के लक्षण दिखाई दें, तो वह घरेलू उपचार के रूप में चना, गुड़, पत्तेदार सब्जियां, दाल, दूध, फल, अंडा, मीट और मछली का सेवन कर सकता है। यदि इन उपायों से राहत नहीं मिल रही है, तो मरीज को आईएफएसी टैबलेट (Iron Folic Acid Supplement) 30 दिनों तक लेने की सलाह दी जाती है। जो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र, एएनएम सेंटर, पीएचसी, आंगनवाड़ी या आशा कार्यकर्ता के पास उपलब्ध रहती है वहां से ले सकते है।
एनीमिया की रोकने के लिए झारखंड में उचित पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा और नियमित स्वास्थ्य जांच की आवश्यकता है। लोगों को आयरन और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने के लिए प्रोत्साहित करना, गर्भवती महिलाओं की विशेष देखभाल करना, और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच बढ़ाना एनीमिया के मामलों को कम करने में मदद कर सकता है।
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