नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों के पीछे बड़ी साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में एक आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि हिंसक प्रदर्शन विरोध करने के संवैधानिक अधिकार से परे है तथा यह कानून के तहत दंडनीय अपराध है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने मंगलवार को अपलोड किए गए अपने आदेश में कहा कि इस बारे में पर्याप्त सामग्री है कि आरोपी सलीम मलिक “गहरी साजिश” में सह साजिशकर्ता था जिसने शांति एवं सद्भाव में कथित तौर पर खलल डालने के लिए धर्म के नाम पर स्थानीय लोगों को उकसाया।
अदालत ने कहा कि प्रदर्शन स्थलों को धर्मनिरपेक्ष रंग देने के लिए “धर्मनिरपेक्ष नाम/हिंदू नाम” दिए गए थे और साजिशकर्ताओं का उद्देश्य विरोध प्रदर्शन को “चक्का जाम” तक ले जाना था।
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