Friday, July 4, 2025

cloud burst: बादल फटना क्या होता है ? [What is cloud burst?]

cloud burst:

बादल फटना एक प्राकृतिक आपदा है जिसमें थोड़े समय में बहुत अधिक मात्रा में बारिश होती है। यह आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में होता है और इसका प्रभाव बहुत ही विनाशकारी हो सकता है। आइये हम जानते है बादल क्यों फटते है, और इससे कैसे बचा जा सकता है।

बादल फटना क्या होता है?

बादल फटना एक ऐसा मौसमीय घटना है जिसमें किसी छोटे से क्षेत्र में बहुत ही कम समय (आमतौर पर 1 घंटे से भी कम) में भारी बारिश होती है। इसमें प्रति घंटे 100 मिमी से अधिक बारिश हो सकती है। इससे अचानक बाढ़, भूस्खलन, और जान-माल को भी भारी नुकसान हो सकता है।

cloud burst: बादल फटने के पीछे का कारण:

  • बादल तब फटता है जब वायुमंडल में नमी बहुत अधिक होती है।
  • हवा ऊपर की ओर तेज़ी से उठती है और नमी को ऊँचाई पर ले जाती है।
  • नमी ठंडी होकर भारी मात्रा में जलकण में बदल जाती है।
  • जब ये जलकण एकत्र होकर भारी हो जाते हैं और नीचे गिरते हैं, तो बहुत ही तेज़ बारिश होती है।

ध्यान देने योग्य: बादल फटना अक्सर तब होता है जब दो अलग-अलग तापमान की हवाएँ टकराती हैं, जिससे तेज संवहन होता है।

cloud burst: यह घटना कहां होती है?

  • बादल फटना आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में होता है
  • हिमालय क्षेत्र (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख)
  • उत्तर-पूर्व भारत (असम, मेघालय)
  • कभी-कभी पश्चिमी घाटों में भी

cloud burst: बादल फटने के प्रभाव:

अचानक बाढ़ – नदियाँ और नाले अचानक भर जाते हैं।

भूस्खलन – पहाड़ी क्षेत्र में ज़मीन खिसक जाती है।

संपत्ति का नुकसान – मकान, सड़कें, पुल आदि टूट सकते हैं।

जान का नुकसान – कई बार लोगों की जान भी चली जाती है।

कैसे पता चलता है कि बादल फटने वाला है?

  • रडार और उपग्रह तकनीकों की मदद से भारी वर्षा की चेतावनी दी जा सकती है।
  • भारतीय मौसम विभाग (IMD) समय-समय पर अलर्ट जारी करता है।

cloud burst: बचाव के उपाय:

  • अगर भारी बारिश हो रही हो तो उच्च स्थान पर रहें
  • नदियों, नालों के पास न जाएँ।
  • मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करें।
  • प्रशासन की मदद लें, अफवाहों पर विश्वास न करें।

बादल फटना एक गंभीर और विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है, जो मुख्य रूप से पहाड़ी और ऊँचाई वाले क्षेत्रों में होती है, जिससे अचानक बाढ़, भूस्खलन और भारी जान-माल की हानि हो सकती है। हालाँकि इसकी सटीक भविष्यवाणी कठिन है, लेकिन आधुनिक तकनीकों और जागरूकता के माध्यम से इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। लोगों को सतर्क रहना चाहिए, मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करना चाहिए, और आपदा प्रबंधन के दिशा-निर्देशों का अनुसरण करना चाहिए ताकि जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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