हजारीबाग। बिरहोर जनजाति की बच्ची की मौत का मामला गरमा गया है। इस मामले में एनटीपीसी पर कार्रवाई की मांग हो रही है।
इसे लेकर चाइल्ड राइट्स फाउंडेशन ने मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा है। पत्र के जरिए एनटीपीसी पर अविलंब कार्रवाई की मांग की गई है।
मामला हजारीबाग जिले के चट्टी बरियातू पंचायत के पगार गांव का है। यहां बिरहोर टोला निवासी किरनी बिरहोर (10 वर्षीय) की मौत 28 फरवरी की रात में हो गई थी।
इस मामले में चाइल्ड राइट्स फाउंडेशन के सचिव बैजनाथ कुमार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर एनटीपीसी पर कारवाई करने का अनुरोध किया है।
पत्र में कहा गया है कि एनटीपीसी 25 अप्रैल 2022 से यहां खनन का काम कर रही है। लेकिन यहां रह रहे परिवारों को उचित्त मुआवजा दिये बगैर खनन का काम किया जा रहा है।
बिना बिरहोर परिवारों (आदिम जनजाति) की सुरक्षा और पुनर्निवास के खनन कार्य कैसे चालू कर दिया गया?
केंद्र और राज्य सरकार विलुप्त होने के कगार पर खड़ी इन आदिम जनजातियों की सुरक्षा के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन खनन कर रही कंपनियों की लापरवाही से सरकार के प्रयासों का माखौल उड़ रहा है। लाके में रह रही आदिम जनजाति के मानवाधिकारों को भी सुरक्षित नहीं रखा जा रहा है।
बता दें कि एनटीपीसी ने बच्ची की मौत के मामले को अपने परियोजना क्षेत्र से बाहर का बताकर पल्ला झाड़ लिया था।
कहा जा रहा है कि मामले को दबाने के लिए कोयला खनन कर रही एनटीपीसी की एमडीओ ऋतिक कंपनी ने बिरहोर बच्ची के परिजनों को 40 हजार मुआवजा दे दिया, जिसमें 5 हजार नकद और 35 हजार पिता बिरू बिरहोर के बैंक खाते में डाले गये हैं।
किरनी के पिता बिरू बिरहोर ने बताया कि बच्ची की मौत के बाद शव जल्द दफनाने के लिए कंपनी ने जोर भी दिया।
बिरहोर टोला के वार्ड सदस्य ने कहा किरनी की मौत प्रदूषण के कारण हुई है। वह कुछ दिने से बीमार थी।
उसे इलाज के लिए केरेडारी स्वास्थ केंद्र ले जाया गया, जहां उचित इलाज की व्यवस्था नहीं होने से सभी वापस लौट गये। उसके बाद किरनी की मौत हो गयी।
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