Jamai Aayog:
पटना, एजेंसियां। बिहार में सियासी पारा एक बार फिर चढ़ा हुआ है, और इसकी वजह है आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का तंज भरा बयान। तेजस्वी ने हाल ही में बिहार सरकार पर जमाई और जीजा आयोग बनाने की मांग की है, जिससे एनडीए नेताओं में हलचल मच गई है। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार और उनके रिश्तेदारों के बीच के रिश्तों को लेकर तंज करते हुए कहा कि, “अब तो नीतीश जी जमाई आयोग भी बना दीजिए, ताकि सबका ख्याल रखा जा सके।”
Jamai Aayog:तेजस्वी का हमला, एनडीए का पलटवार
तेजस्वी का यह बयान सीधे तौर पर एनडीए के नेताओं के दुखती रग पर हाथ रख गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में हाल ही में गठित आयोगों में नीतीश कुमार के परिवार और रिश्तेदारों को महत्वपूर्ण पद दिए गए हैं। इस पर एनडीए नेताओं ने तेजस्वी के खिलाफ तगड़ा पलटवार किया। नेताओं ने यह कहा कि तेजस्वी परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं, जबकि खुद वह परिवारवाद से राजनीति में आए हैं।
एनडीए के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी ने तो तेजस्वी की नीयत पर ही सवाल उठाया और कहा कि जब किसी के पास मुद्दे नहीं होते, तो वह निजी हमलों पर उतर आता है।
Jamai Aayog:क्या बदलेगा चुनावी समीकरण?
तेजस्वी के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि क्या उनका यह तर्क बिहार विधानसभा चुनावों में कुछ असर डाल सकेगा। राज्य में बिहार के नेताओं के रिश्तों के बारे में तेजस्वी ने गहरी चोट की है, और यह मुद्दा जल्द ही चुनावी मंच तक पहुंच सकता है। तेजस्वी ने एनडीए के रिश्तेदारों पर सीधा हमला करते हुए कहा कि उनके परिवारों को आयोगों में नियुक्ति दी गई है, जिनमें चिराग पासवान के बहनोई और नीतीश कुमार के रिश्तेदारों का नाम लिया।
इस बयान ने एक नई बहस शुरू कर दी है, और जानकारों के अनुसार, यह चुनावों में वोटों के गणित को प्रभावित कर सकता है। खासकर तब जब तेजस्वी यादव पर पहले से ही परिवारवाद का आरोप लग चुका है, अब जब उन्होंने एनडीए नेताओं के रिश्तेदारों को निशाना बनाया है, तो यह उन्हें एक मजबूत राजनीतिक दांव दे सकता है।
Jamai Aayog:क्या इस बयान से तेजस्वी को फायदा होगा?
यह कहना अभी मुश्किल है कि तेजस्वी के इस बयान का चुनावी परिणाम पर कितना असर पड़ेगा, लेकिन वह इस मुद्दे को उठाकर एक नई बहस शुरू करने में सफल रहे हैं। अब यह देखना होगा कि क्या बिहार के मतदाता इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे और क्या परिवारवाद के खिलाफ तेजस्वी के आरोपों से उनका मतदाता समीकरण बदलता है। साथ ही, यह भी अहम होगा कि एनडीए और तेजस्वी यादव के बीच यह सियासी रार अगले चुनावों में किस रूप में सामने आती है।
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