वाशिंगटन डीसी, एजेंसियां। अरब देश इजराइल को मान्यता देने को तैयार हो गये हैं। यह कहना है अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का।
उनके मुताबिक पहली बार सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन, कतर समेत सभी अरब देश इजराइल को मान्यता देने के लिए तैयार हैं।
समाचार एजेंसियों के मुताबिक, बाइडेन ने जंग के बाद गाजा की स्थिति और टू-स्टेट सोल्यूशन का जिक्र किया। टू-स्टेट सॉल्यूशन का मतलब इजराइल और फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के तौर पर मान्यता देने से है।
बाइडेन ने एक फंडरेजर प्रोग्राम के दौरान अरब देशों के इजराइल को मान्यता देने की बात कही। उनके साथ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और बिल क्लिंटन भी मौजूद थे।
बाइडेन ने कहा कि मैं अभी विस्तार से जानकारी नहीं दूंगा। लेकिन मैं सउदी, मिस्र, जॉर्डन और कतर समेत अन्य अरब देशों के साथ काम कर रहा हूं।
वे पहली बार इजराइल को पूरी तरह से मान्यता देने के लिए तैयार हैं। लेकिन इसके लिए गाजा को लेकर कोई प्लान होना चाहिए। एक टू-स्टेट सॉल्यूशन होने चाहिए।
यह आज हो ये जरूरी नहीं, लेकिन इसमें कुछ प्रोग्रेस होनी चाहिए। मुझे लगता है कि हम ऐसा कर सकते हैं।
बता दें कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन 5 फरवरी को सऊदी की राजधानी रियाद पहुंचे थे। उन्होंने इजराइल-हमास जंग पर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की थी।
अरब देशों ने 2002 में इजराइल को मान्यता देने की पेशकश की थी। शर्त रखी थी कि इजराइली कब्जे वाले वेस्ट बैंक और गाजा को फिलिस्तीनी राज्य माना जाए और पूर्वी यरुशलम को फिलिस्तीन की राजधानी बनाया जाए। लेकिन तब इजराइल ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
सऊदी अरब समेत कई अरब देशों ने अब तक इजराइल को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं दी है। इसलिए इजराइल के इन देशों के साथस डिप्लोमैटिक रिलेशन्स नहीं है।
सऊदी का कहना है कि वो इजराइल के साथ संबंध सामान्य कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उसे 2002 के अरब शांति प्रस्ताव की शर्तें माननी होंगी।
2002 में तय हुआ था कि इजराइल को उन सभी क्षेत्रों से अपना कब्जा हटाना होगा जो उसने 1967 की जंग के दौरान किया।
फिलिस्तीन को एक आजाद मुल्क मानना होगा। पूर्वी यरुशलम को उसकी राजधानी माननी होगी। इन शर्तों में सभी अरब देशों की सहमति थी।
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