रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन मंगलवार की दोपहर अचानक ही होटवार जेल पहुंचे। यहां उन्होंने पूर्व सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की।
दोनों देर तक बंद कमरे में बात करते रहे। बताया जा रहा है कि उनकी बातचीत का केंद्र सीता सोरेन ही थीं, क्योंकि सीता सोरेन के इस्तीफे के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने पहुंच गये थे।
बताते चलें कि हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन झामुमो छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गई हैं। उन्होंने विधायकी से भी इस्तीफा दे दिया है।
इससे झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है। सीता के इस्तीफे के बाद झामुमो में खलबली मच गई है। इसके बाद ही सीएम चंपाई हेमंत सोरेन से मिलने पहुंचे।
इस दौरान दोनों के बीच करीब 40 मिनट बात हुई। माना जा रहा है कि सीता सोरेन के जाने से पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई को लेकर दोनों ने चर्चा की है।
बताते चलें कि लंबे समय से सोरेन परिवार में आतंरिक कलह की खबरें आती रही, लेकिन आधिकारिक तौर पर इस मामले में खुलकर किसी ने कुछ नहीं कहा।
पर सीता सोरेन ने अपने इस्तीफे में इस संबंध में खुलकर लिखा है। उन्होंने लिखा है कि मेरे स्वर्गीय पति, दुर्गा सोरेन, जो कि झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे, के निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहें है।
पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा हमे अलग-थलग किया गया है, जो कि मेरे लिए अत्यन्त पीड़ा दायक रहा है।
गौरतलब है कि सीता सोरेन ने आज दिशोम गुरु शिबू सोरेन को अपना इस्तीफा मेल के जरीए भेजा। इसके बाद उन्होंने अपने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया।
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के पहले से ही सीता सोरेन पार्टी से नाराज चल रही थी। मुख्यमंत्री पद को लेकर जब कल्पना मुर्मू सोरेन का नाम चल रहा था।
उस वक्त सीता सोरेन ने साफ तौर पर कहा था कि कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करूंगी। मैं गुरुजी की बड़ी बहू हूं।
मेरे पति दुर्गा सोरेन ने गुरुजी (शिबू सोरेन) के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा को अपने खून-पसीने से सींचा है।
अब जबकि हक और अधिकार की बात आई तो कल्पना सोरेन का नाम आगे किया जा रहा है। हालांकि उस दौरान कल्पना सोरेन की जगह चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया और बात दब गई।
इसे भी पढ़ें