Operation Sindoor:
जम्मू, एजेंसियां। ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अब केंद्रीय सुरक्षा बलों ने अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर फोकस कर दिया है। देश का सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’, जो लंबे समय से अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालता है, इस बार भी सीआरपीएफ द्वारा अमरनाथ यात्रा के रूट पर अचूक किलेबंदी की जाएगी। इसके लिए डीजी सीआरपीएफ जीपी सिंह अपने वरिष्ठ सहयोगियों के साथ घाटी के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।
उन्होंने घाटी में तैनात सीआरपीएफ की 47 बटालियनों के रेंज डीआईजी और कमांडिंग अधिकारियों के साथ तीन घंटे से अधिक समय तक चली कॉन्फ्रेंस में अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर बातचीत की है। सूत्रों का कहना है कि इस बार सुरक्षा बलों का विशेष फोकस फिदायीन अटैक और आईईडी ‘इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ (आईईडी) के हमलों को रोकना है। सीआरपीएफ की ‘1000 मीटर’ की थ्योरी, आतंकियों को यात्रा रूट के निकट तक नहीं फटकने देगी।
Operation Sindoor: सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ ने कसी कमर
सूत्रों का कहना है कि अमरनाथ यात्रा के रूट पर श्रद्धालुओं को अचूक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘सीआरपीएफ’ ने कमर कस ली है। जिन मार्गों से अमरनाथ यात्रा गुजरेगी, वहां की अचूक किलेबंदी की जाएगी। सीआरपीएफ की ‘1000 मीटर’ की थ्योरी, आतंकियों को यात्रा रूट के निकट तक नहीं पहुंचने देगी। उक्त दूरी पर पर्याप्त संख्या में जवान मौजूद रहेंगे।
भले ही सरकारी कर्मियों के लिए रोजाना आठ घंटे की ड्यूटी तय होती है, लेकिन सीआरपीएफ के जवान, अमरनाथ यात्रा के दौरान 14 से 16 घंटे तक तैनात रहते हैं। यात्रा रूट पर श्रद्धालुओं के काफिले पूरी तरह महफूज रहेंगे। इन्हें बल के वाहन एस्कॉर्ट करेंगे। रास्ते में कोई खतरा न हो, इसके लिए सीआरपीएफ की ‘रोड ओपनिंग पार्टी’ 24 घंटे गश्त पर रहेगी।
Operation Sindoor: 29 जून से अमरनाथ यात्रा होगी प्रारंभ
सूत्रों के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा पर पाकिस्तान के दशहतगर्दों की बुरी नजर है। खुफिया इकाई को जो अलर्ट मिल रहे हैं, उसके अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अभी भी लगभग ’50’ पाकिस्तानी दहशतगर्द छिपे हैं। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के बड़े आतंकी संगठनों के जम्मू-कश्मीर में मौजूद ‘मुखौटे’ समूहों के करीब दो दर्जन लोकल आतंकी भी सक्रिय हैं।
इन आतंकियों के पास छोटी मिसाइल सहित चार तरह के हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल ये दहशतगर्द अमरनाथ यात्रा पर हमले के लिए कर सकते हैं। इनमें छोटी मिसाइल यानी हैंड ग्रेनेड के अलावा, आईईडी, चिपकने वाला बम और ड्रोन शामिल हैं। फिदायीन अटैक को लेकर भी सुरक्षा बल सतर्क हैं।
Operation Sindoor: विशेष शिविर की दूरी की गयी है कम
अमरनाथ यात्रा रूट पर जो विशेष शिविर तैयार किए जाएंगे, उनकी दूरी कम कर दी गई है। यात्रा मार्ग पर रोड ओपनिंग पार्टी की संख्या बढ़ाई जाएगी। यात्रा बेस कैंप की सुरक्षा, जो पहले एसएसपी रैंक के अधिकारी संभालते थे, इस बार वह दायित्व बड़े स्तर के अधिकारियों को सौंपा जा सकता है। फील्ड ड्यूटी में कई दूसरे परिवर्तन भी देखने को मिलेंगे। जम्मू कश्मीर पुलिस की इंटेलिजेंस विंग और सुरक्षाबलों की मदद से ओवर ग्राउंड वर्कर की सक्रियता का पता लगाने के लिए एक विशेष दस्ते का गठन किया जाएगा।
ये ओवर ग्राउंड वर्कर, आतंकियों को जरुरी सूचनाएं एवं ट्रांसपोर्ट की सुविधा मुहैया कराते हैं। पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के जम्मू कश्मीर में मौजूद मुखौटे आतंकी संगठन जैसे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) और पीएएफएफ की गतिविधियों पर खास नजर रखी जा रही है।
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