भुवनेश्वर, एजेंसियां। मयूरभंज जिले के मोरडा ब्लॉक के बलदिया गांव की 65 वर्षीय विधवा मंद सोरेन की जिंदगी में संघर्षों का सिलसिला लगातार जारी है। अपने बेटे की मौत और बहू की कोरोना काल में मौत के बाद, वह अपने पोते के साथ रायपाल गांव में अपनी बहन के घर रह रही थीं।
विधवा महिला ने पोते को बेहतर जीवन के लिए सौंपा:
मंद सोरेन का कहना है कि उनकी उम्र बढ़ने और कमजोरी के कारण वे अपने पोते की ठीक से देखभाल नहीं कर पा रही थीं। इस स्थिति से उबरने के लिए उन्होंने मजबूरी में अपने पोते को 200 रुपये में एक अज्ञात व्यक्ति को सौंप दिया, ताकि उसे बेहतर जीवन और पोषण मिल सके।
जब स्थानीय पंचायत समिति के सदस्य को इस मामले की जानकारी मिली, तो उन्होंने प्रशासन को सूचित किया। इसके बाद रासगोविंदपुर पुलिस सक्रिय हुई और बच्चे को बचाकर थाने ले आई। बाल संरक्षण विभाग ने तुरंत हस्तक्षेप किया और दादी-पोते को सरकारी संरक्षण में ले लिया।
बाल संरक्षण विभाग की अधिकारी ने बताया कि मंद सोरेन ने किसी को पोता नहीं बेचा, बल्कि उसे अच्छी शिक्षा देने और बेहतर पालन-पोषण के लिए सौंपा था, क्योंकि वह अपनी स्थिति से अधिक सक्षम नहीं थीं।
फिलहाल, बच्चे को बाल संरक्षण केंद्र भेज दिया गया है, जहां उसकी उचित देखभाल की जाएगी, और दादी के लिए पेंशन और सरकारी आवास की व्यवस्था की जा रही है।
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